नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी कैबिनेट में रविवार को तीसरा बदलाव किया गया। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पौने दो साल पहले किया गया यह बदलाव अंतिम है। इस बदलाव में बेहतर काम करने वाले चार स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्रियों को प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया, जबकि नौ नये राज्य मंत्री बनाये गये। प्रोन्नत किये गये मंत्रियों में धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमन और मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं। वहीं, नौ राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। शपथ लेने वाले राज्य मंत्रियों में ज्यादातर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हैं, जिन्हें शासन का अच्छा-खासा अनुभव है। वे अलग-अलग मंत्रालय में अपने कैबिनेट मंत्रियों को उनके कामकाज में अपने अनुभव के आधार पर प्रभावी सहयोग करेंगे। मोदी कैबिनेट के इस विस्तार के कई अहम संकेतक हैं, जो इस प्रकार हैं :
भाजपा में कोई सर्वसत्तावादी नहीं, आपको संतुलन बनाना ही होगा
नरेंद्र मोदी कैबिनेट के विस्तार या बदलाव में अकेले नरेंद्र मोदी-अमित शाह की नहीं चली है। भाजपा कैडर आधारित पार्टी है और इसकी डोर पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हाथों मेें है। मोदी-शाह को पार्टी के बड़े नेताओं की सलाह व नजरिया को मानना पड़ा है। सरकार के वरिष्ठतम मंत्रियों में शुमार राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली व नितिन गडकरी इस पक्ष में नहीं थे कि उनके मंत्रालय में फेरबदल किया जाये। इस मुद्दे पर राजनाथ ने ठाेस स्टैंड लिया। पहले यह खबर आयी कि वे वृंदावन में चल रही आरएसएस की समन्वय बैठक में बात करने जायेंगे, लेकिन वहां नहीं जाने पर भी उन्होंने संघ नेतृत्व को अपना संदेश भिजवाया कि वे मंत्रालय बदले जाने की जगह संगठन में काम करना पसंद करेंगे। जाहिर है राजनाथ के राजनीतिक कद के मद्देनजर उनके लिए पार्टी अध्यक्ष के अलावा कोई पद बचता नहीं है। ऐसी स्थिति में भाजपा में सत्ता के दो केंद्र हो सकता था – एक सरकार का मुखिया, दूसरा पार्टी का मुखिया। मौजूदा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही प्रतिनिधि माने जाते हैं। राजनाथ के इस स्टैंड को सुषमा, जेटली व गडकरी का भी सपोर्ट मिला। संघ का भी फार्मूला रहा है कि अपने किसी भी अनुषांगिक संगठन में वैकल्पिक नेतृत्व के लिए दरवाजे हमेशा खुला रखो और हर अहम शख्स की सुनो तब फैसला करो।
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संगठन के आदमी से छेड़छाड़ नहीं करो, क्योंकि आगामी चुनाव है अहम
2019 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है। इससे पहले गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2019 में अमित शाह के 350 प्लस सीट हासिल करने के लक्ष्य को छूने के लिए जरूरी है कि इन विधानसभा चुनावों में भी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करे। इसके लिए जरूरी है कि संगठन में महत्वपूर्ण प्रतिभाशाली लोग रहें। इसलिए पार्टी अध्यक्ष अमित साह सरकार में शामिल नहीं हुए। गृहमंत्री या रक्षामंत्री पद के लिए उनके नाम की मीडिया में बारबार चर्चा होती रही, लेकिन उन्होंने सार्वजिनक रूप से इसका खंडन किया। शाह के करीबियों के हवाले से मीडिया में यह खबर भी आयी कि उनके लिए संगठन प्राथमिकता है और अगले लोकसभा चुनाव के पहले वे सरकार में शामिल होना नहीं चाहते हैं। पार्टी के प्रभावी महासचिव ओम माथुर व उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे को भी सरकार में नहीं लाया गया। इन्हें चुनाव के लिए संगठन में ही काम करना है। पूर्व में भी सत्ताधारी पार्टियां यह प्रयोग करती रही हैं कि चुनाव के ऐन पहले अहम लोगों को सरकार से संगठन में भेज दिया जाता है।
अच्छा काम करने वालों को प्रमोशन दो, टेक्नोक्रेट्स को जोड़ो
नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने आज अपने चार स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्रियों को प्रमोट किया। इनमें प्रधान, गाेयल, नकवी व सीतारमन का नाम शामिल हैं। इन्होंने अपने-अपने मंत्रालय में बेहतर काम किया है। पेट्रोलियम सेक्टर में प्रधान एवं इनर्जी सेक्टर में गोयल ने सुधारों की शुरुआती की। पूर्व के कैबिनेट विस्तार के समय भी यह खबर आयी थी कि इन दोनों को प्रमोशन मिल सकता है, लेकिन मिला नहीं। अब जाकर उन्हें काम का पुरस्कार मिला है। संभव है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने अहम मंत्रालय में ही वे बने रहें या फिर कोई नहीं जिम्मेवारी संभालें। सरकार ने राज्य मंत्री के रूप में ज्यादातर ब्यूरोक्रेट्स व टेक्नोक्रेट्स को जोड़ा, जिनकी प्रतिभा का सहयोगी मंत्री के रूप में सरकार लाभ लेना चाहती है। सरकार ने कई मंत्रियों का पहले ही इस्तीफा भी ले लिया था। कहा जाता है कि इसमें कुछ इस्तीफे परफार्मेंस के आधार पर ही लिये गये।