नई दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को ‘मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल’ को मंजूरी दे दी है। इस बिल के तहत यदि पति, पत्नी को एक बार में तीन तलाक देता है तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है। पति को जमानत भी नहीं मिल सकेगी। इसके अलावा पत्नी और बच्चों के लिए हर्जाना भी देना पड़ेगा।
संसद से बिल के पारित होने के बाद यह कानून सिर्फ एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा। यह कानून पीड़िता को खुद और अपने नाबालिग बच्चों के लिए भरण-पोषण और गुजारा भत्ता के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाने की शक्ति देगा। पीड़िता नाबालिग बच्चों की कस्टडी भी मांग सकेगी। इस मामले पर मजिस्ट्रेट अंतिम फैसला लेंगे।
अब सरकार इस बिल को मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश करेगी। मसौदा बिल को राय के लिए राज्य सरकारों को शुक्रवार को भेजा गया है। राज्यों को तत्काल अपना जवाब देने को कहा गया है। राज्यों की राय मिलने के बाद कानून मंत्रालय मसौदे को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने पेश करेगा।
प्रस्तावित बिल में इस बात के विशेष प्रावधान किए गए हैं कि किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक जैसे ईमेल, एसएमएस या व्हाट्सएप गैरकानूनी और अमान्य होगा।
अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक बोल कर शादी तोड़ने पर छह माह की रोक लगा दी थी। उसने इसे असंवैधानिक, मनमाना और एक पक्षीय करार दिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह इस पर कानून बनाए।
बता दें कि तीन तलाक पर केंद्र सरकार कड़ा रुख अपना रही है। सरकार यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद तीन तलाक देने के मामलों को देखते हुए उठा रही है। प्रस्तावित बिल के अनुसार, नया कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश पर लागू होगा।