मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भीम नाथ झा ने कहा है कि मोहन भारद्वाज की पहली नौकरी रांची एजी ऑफिस में हुई। उन्होंने यही आकर लिखना शुरू किया और राष्ट्रीय पटल पर मैथिली के लेखक और आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हुए। भीम नाथ झा मैथिली के नामवर सिंह कहे जाने वाले प्रगतिशील मैथिली आलोचक मोहन भारद्वाज की स्मृति में हुई सभा मे बोल रहे थे। आयोजन झारखंड मैथिली मंच ने विद्यापति दालान में किया था। मौके पर तारानंद वियोगी ने कहा कि मोहन भारद्वाज ने पहली बार मैथिली के साहित्य को मैथिल आंख से देखने का हुनर दिया। अशोक बोले, मोहन भारद्वाज साहित्यकार आलोचक के साथ बड़े मनुष्य थे। वे किसी से मन भेद नहीं रखते थे। सभा में डॉ. महेंद्र नारायण राम, बिहार मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रघुवीर, किशोर केशव, डॉ. रामानंद झा रमण, फूलचंद्र मिश्रा, कृष्णमोहन झा मोहन, सियाराम झा सरस, अजित आज़ाद और पीके झा समेत देश भर से जुटे मैथिली साहित्यकार थे। सभा से पहले सभी लेखक शहीद मैदान, धुर्वा स्थित मत्स्य विभाग के तालाब के निकट द्वादश कार्यक्रम में शामिल हुए। वहां भी साहित्यकारों ने मोहन भारद्वाज के योगदानों की चर्चा की।
मैथिली कथाकार मोहन भारद्वाज की स्मृति सभा में जुटे देश भर से साहित्यकार
