मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अधिकारियों को कोयला खदानों से जुड़ी माफियागिरी को खत्म करने का निर्देश देते हुए विभिन्न कार्यो में स्थानीय लोगों और ग्रामीणों की मदद लेने का निर्देश दिया है। उन्होंने इसके लिए को-ऑपरेटिव या कंपनी बनाकर काम देने के तरीके को अपनाने की बात कही।
खासकर ट्रांसपोर्टिग जैसे कार्यो में स्थानीय लोगों और ग्रामीणों को मौका देने की वकालत की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं के तहत विस्थापितों का पुनर्वास और ऐसे लोगों को बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता है और इसे हर हाल में सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री सोमवार को मंत्रालय भवन में कोयला परियोजनाओं को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे थे। सीएम ने गोड्डा जिले में ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) की खनन योजनाओं से प्रभावित विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर खास तौर पर निर्देश दिए।
सीसीएल समेत सभी कोल कंपनियों को नियमों में संशोधन कर स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने का निर्देश उन्होंने दिया। इससे माफिया पर लगाम लगाने में सफलता मिलेगी। स्थानीय प्रशासन की देखरेख में यह कंपनी या को-ऑपरेटिव का गठन किया जायेगा।
उन्होंने ईसीएल की खदानों से प्रभावित बोहदा गांव के विस्थापितों का पहले पुनर्वास करने का निर्देश देते हुए उन्हें बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने को कहा। सितंबर तक उनके घरों में बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने को भी रघुवर ने निर्देश दिए।
यहां स्ट्रीट लाइट, बेहतर सड़क, हर घर को गैस कनेक्शन आदि सुविधाएं मुहैया कराने के काम में तेजी लाने को कहा। उन्होंने कहा कि झारखंड में अबतक यही होता आया है कि विस्थापितों की जमीन तो ले ली जाती है, लेकिन उनको किया वादा पूरा नहीं किया जाता है। उनके साथ विश्वासघात किया जाता है। अब ऐसा नहीं चलेगा।
उन्होंने पथ विभाग और कोल कंपनियों को निर्देश दिया कि माइंस क्षेत्रों में बाइपास बनाने के लिए सर्वे कराकर सड़क बनाएं ताकि कोयले के ट्रक गाव या आबादी के बीच से आना-जाना न करें। ये सड़क सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली हों।
बैठक में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, गृह विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे, डीजीपी डीके पाडेय, पथ सचिव केके सोन, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल, खान सचिव अबु बकर सिदीक पी, लातेहार, हजारीबाग, चतरा के उपायुक्त, सीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह, इसीएल के सीएमडी सुनील कुमार झा समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।