मांदर की थाप से माहौल बना देते हैं विधायक भूषण बाड़ा — नेता ही नहीं, संस्कृति के सच्चे संरक्षक भी
सिमडेगा के कांग्रेस विधायक भूषण बाड़ा सिर्फ एक जनप्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि कला और संस्कृति के जीवंत प्रतीक हैं। आधुनिक दौर में जहाँ हर कार्यक्रम में डीजे की तेज़ धुनों का बोलबाला रहता है, वहीं भूषण बाड़ा अपनी मांदर की पारंपरिक थाप से हर महफिल को उत्सव में बदल देते हैं।
सिमडेगा में आयोजित किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में जब भी विधायक भूषण बाड़ा मंच पर आते हैं, लोगों की नजरें उनके हाथों में पकड़े मांदर पर टिक जाती हैं। जैसे ही मांदर की पहली थाप पड़ती है, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के चेहरे खिल उठते हैं। महिलाएँ पारंपरिक नृत्य करने लगती हैं, युवा समूह झूम उठता है और पूरा माहौल कुछ ही पल में रौनक से भर जाता है।
सिर्फ नेता नहीं—भूषण बाड़ा सांस्कृतिक चेतना के भी वाहक हैं।
उन्होंने कई बार कहा है कि “अगर संस्कृति जिंदा है, तो समाज मजबूत है।”
इसी सोच के साथ वे हर आयोजन में स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा देते हैं।
स्थानीय संस्कृति को जीवंत करने की अनोखी पहल:
- कार्यक्रमों में मांदर, नगारों और पारंपरिक वाद्ययंत्रों को प्राथमिकता
- समुदाय के बीच स्थानीय नृत्य और लोकगीतों को बढ़ावा
- युवाओं को पारंपरिक कला सीखने के लिए प्रेरित करना
- आधुनिक डीजे और बाहरी प्रभावों से हटकर स्थानीय पहचान को मजबूत करने पर जोर
भूषण बाड़ा कहते हैं कि सांस्कृतिक विरासत को बचाना सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सम्मान की बात है। उनके नेतृत्व में कई गांवों में लोकनृत्य समूहों और कलाकारों को नया मंच मिला है।
लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों का कहना है—
“भूषण बाड़ा जी मंच पर मांदर बजा दें, तो कार्यक्रम खुद-ब-खुद सफल हो जाता है।”
“ऐसे नेता कम होते हैं, जो अपनी संस्कृति की आत्मा को खुद जीते हों।


