दिल्ली वालों पर एक बार फिर से मेट्रो के किराये का बोझ बढ़ सकता है। एयरपोर्ट मेट्रो की वजह से दिल्ली मेट्रो पर 5000 करोड़ का बोझ बढ़ा है। बोझ को कम करने के लिए मेट्रो किराया बढ़ा सकता है। इस पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चिंता जाहिर की है। दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय व शहरी विकास मंत्रालय से मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की है।
उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले में रिलायंस कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है। दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो की रफ्तार 120 किलोमीटर पर चलानी तय की गई थी। इस मेट्रो में जानबूझकर तकनीकी गड़बड़ियां की गई। इस वजह से इसकी रफ्तार कम होने तक इसे लाइन को मंजूरी नहीं दी जा सकी। इस वजह से मेट्रो पर करीब 5000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट दिल्ली सरकार ने की स्टडी कराई है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली डायलॉग कमीशन (डीडीसी)ने इसकी जांच की थी। रिपोर्ट में बताया है कि किस प्रकार की गड़बड़ियां इस प्रोजेक्ट में हुई है। ये गड़बड़ियां जानबूझकर रखी गई है। डीडीसी ने आपराधिक जांच कराने की मांग सिफारिश की है। इसी आधार पर सरकार जांच कराना चाहती है ताकि जनता को बढ़ते बोझ से बचाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने भेजा है पत्र
जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से पत्र भेजा गया है। इस पत्र में मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि डीएमआरसी ने रियायत समझौते में ‘जानबूझकर छेड़छाड़ व संशोधन’ किया, ताकि जनता के पैसों से रियायती (रिलायंस) को ‘अनुचित और नाजायज’ लाभ पहुंचाया जा सके। इसेक लिए सिविल निमार्ण में कई सारी ‘गंभीर दोष पूर्ण चूक की गई। जिसके कारण रिलायंस का समझौते को खत्म कर दिया।
जांच में ये भी पाई गई है गड़बड़ियां
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि मेट्रो पटरियों में 15,51 दरारें तथा 49 दोषपूर्ण मोड़ पाए गए हैं। इस वजह से रेलवे सेफ्टी कमीशनर ने इसे अनुमति नहीं दी थी। यह बदलाव मेट्रो की रफ्तार कम करने के लिए किया गया। इस वजह से 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार को कम कर 50 किलोमीटर प्रतिघंटे किय गया।