नई दिल्ली- आईएमएफ ने भारत में संरचनात्मक सुधारों के लिए एक त्रिपक्षीय दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया है जिसमें श्रम कानूनों की संख्या में कमी लाना, बुनियादी ढांचे में सुधार करना और लिंगभेद को खत्म करना प्रमुखता से शामिल है। एशिया पैसिफिक विभाग के उप-निदेशक (डिप्टी डायरेक्टर) केनेथ कांग ने बताया, “एशिया का परिदृश्य अच्छा है और यह मुश्किल सुधारों के साथ भारत को आगे ले जाने का महत्वपूर्ण अवसर है। ढांचागत सुधारों के मामले में तीन नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “पहली प्राथमिकता कॉर्पोरेट और बैंकिंग क्षेत्र की हालत को सुधारना है। इसके लिए गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के समाधान को बढ़ाना, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी आधिक्य का पुनर्निर्माण और बैंकों की ऋण वसूली प्रणाली को बेहतर बनाना होगा।”
कांग ने आगे कहा कि दूसरी प्राथमिकता में भारत को राजस्व संबंधी कदम उठाकर अपने राजकोषीय एकीकरण की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए। साथ ही सब्सिडी के बोझ को भी कम करना चाहिए। वहीं भारत को तीसरी प्राथमिकता के मुताबिक बुनियादी ढांचा अंतर को पाटने के लिए ढांचागत सुधारों की गति बनाए रखना और श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता का विस्तार होना चाहिए। साथ ही कृषि सुधारों को भी आगे बढ़ाना चाहिए।
इसके अलावा श्रम बाजार सुधारों से जुड़े एक सवाल के जवाब में कांग ने कहा कि निवेश और रोजगार के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाने के लिए मार्केट रेग्युलेशन में सुधार किए जाने चाहिए। साथ ही श्रम कानूनों की संख्या घटायी जानी चाहिए जो अभी केंद्र और राज्य के स्तर पर कुल मिलाकर करीब 250 हैं।