रांची। भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और झारखंडियों की बात कर सत्ता में आई यह सरकार आज अपने वादों से भटक चुकी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लगातार सरकार की खामियों को उजागर करते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद आज झारखंड में अनुसूचित जाति (एससी) समाज की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है।
अमर कुमार बाउरी ने कहा कि सरकार के एक मंत्री ने भी एससी समाज की स्थिति सुधारने को लेकर मुख्यमंत्री को लिखित आग्रह किया है, जो इस बात का प्रमाण है कि हालात कितने गंभीर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने हाल ही में नई योजना की शुरुआत तो की है, लेकिन एससी समाज को उसका वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा।
उन्होंने कहा कि एससी बच्चों को विदेश में शिक्षा दिलाने की मांग बहुत पहले से की जा रही थी, लेकिन आज तक झारखंड से एक भी एससी छात्र को इस योजना का लाभ नहीं मिला। राज्य में करीब 50 लाख एससी आबादी को उनके हक और अधिकार से वंचित रखा जा रहा है। सरकार की योजनाओं में एससी समाज कहीं नजर नहीं आता।
नगर निगम और नगर पंचायत चुनावों को लेकर बाउरी ने कहा कि यह तय है कि चुनाव न्यायालय के माध्यम से होंगे। पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग भी कोर्ट से की गई थी, लेकिन सरकार ने 2022 की जनगणना के आधार पर ओबीसी आरक्षण लागू किया, जिससे एससी समाज को नुकसान हुआ। रांची नगर निगम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शहर के मात्र दो वार्डों में ही एससी को आरक्षण दिया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक कारणों से एक वर्ग को दबाने का काम कर रही है। झारखंड बनने के बाद भले ही एससी समाज ने संगठनात्मक ताकत का प्रदर्शन न किया हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें नजरअंदाज किया जाए। सरकार अलग-अलग नगर निगमों में अलग-अलग नियम लागू कर रही है और न्यायालय के दबाव में आनन-फानन में चुनाव की तैयारी कर रही है।
अमर कुमार बाउरी ने मांग की कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नगर निगम चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करें, ताकि सभी वर्गों को न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि जब सामाजिक संगठन पदाधिकारियों से बात करते हैं तो वे सरकार की दुहाई देने लगते हैं, जिसके कारण एससी समाज को अपने हक के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपनी कमियों को दूर नहीं करती है तो आने वाले समय में दलित समाज बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान और कानून के तहत आंदोलन करने को मजबूर होगा। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अब तक संवैधानिक संस्थाओं की अनदेखी कर रही है और बाल आयोग, महिला आयोग, एससी आयोग तथा सूचना आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण आयोगों का गठन नहीं किया गया है।



