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भगवान शिव से नाराज होकर तपस्या में लीन हो गई थीं माता पार्वती, ऐसे पड़ा नाम महागौरी

नई दिल्ली: नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के इस अवतार की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूजा-पाठ के साथ ही कन्या पूजन किया जाता है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। भविष्य में कभी भी उसके पास दुख नहीं आते। मां महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए कल्याणकारी है। सिर्फ नवरात्रि ही नहीं बल्कि हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। महागौरी भक्तों का कष्ट दूर करती हैं। इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

मां पार्वती को ऐसे मिला महागौरी का नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ ने उन्हें देखकर कुछ कहा जिससे देवी का मन आहत हो और वे तपस्या में लीन हो गईं। इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो उन्हें खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। वहां माता पार्वती को देखकर वे आश्चर्यचकित रह जाते हैं। तपस्या के कारण पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण हो जाता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है। माता की तपस्या और रूप को देख भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उन्हें गौर वर्ण का वरदान देते हैं। इस प्रकार उनका नाम महागौरी पड़ता है। एक अन्य कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं और तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।

मां की उपासना
पुराणों में मां महागौरी की महिमा का वर्णन है। मां की उपासना करते हुए या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। का जाप करें। इसका अर्थ है- हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे मां, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करें। इसके अतिरिक्त इस श्लोक का जाप करने से भी माता गौरी प्रसन्न होती हैं – श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः | महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा || माता को भोग में नारियल व लाल चुनरी अवश्य चढ़ाएं व कन्या पूजन कर दान करें। इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अष्टमी पर पहनें इस रंग के कपड़े
नवरात्रि के आठवें दिन यानि अष्टमी को गुलाबी रंग पहनना शुभ होता है। गुलाबी रंग सौभाग्य का प्रतीक है, गहरा गुलाबी रंग स्त्रीत्व और उत्सव को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त लाल रंग पहनना भी शुभ होगा। ये रंग माता की लाल चुनरी के समान होता है, जो भक्त को सौभाग्य प्रदान करता है।

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