अब तक बैंकरप्सी कोड के तहत आरबीआई की ओर से दी गई 12 कंपनियों में से केवल भूषण स्टील का मामला सुलझा है। आरबीआई ने इन 12 बड़े अकाउंट्स की लिस्ट जून 2017 में दी थी।
तब सरकार ने कहा था कि इससे सरकारी बैंकों के एनपीए में 35000 करोड़ रुपये की कमी आएगी और राइट बैक से सरकारी बैंकों को लगभग 7500 करोड़ रुपये की इनकम होगी।
अधिकारी ने कहा कि जिन मामलों में बैंकों को फंसे हुए कर्ज से कम पर राजी होना पड़ा है, उनमें भी उनके पास कुछ इक्विटी होल्डिंग है, जिससे उन्हें तब ज्यादा रिटर्न मिलेगा, जब कंपनी कर्ज घटा लेगी और उसका वैल्यूएशन चढ़ जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मॉनेट इस्पात में लेंडर्स के पास करीब 18 पर्सेंट इक्विटी स्टेक होगा।’
फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जितनी रकम का पहले प्रस्ताव किया जा चुका है, सरकार उससे अतिरिक्त रकम सरकारी बैंकों को देने पर विचार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, ‘एनपीए घटने से बैंकों की पूंजी बढ़ेगी और वे ज्यादा कर्ज दे सकेंगे। एनपीए के सभी बड़े मामलों को इस क्वॉर्टर के दौरान शामिल कर लिया गया है, लिहाजा आने वाली तिमाहियों में इसमें अचानक कोई बड़ी बढ़ोतरी नहीं होने वाली है।’
अधिकारी ने कहा, ‘बैंक मार्केट से पूंजी जुटाने पर गौर कर रहे हैं। वे अपनी नॉन-कोर एसेट्स बेचने पर भी विचार कर रहे हैं। लिहाजा हमारा अनुमान यह है कि उन्हें इस वित्त वर्ष में 65000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत नहीं होगी।’
अधिकतर सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 के आखिरी क्वॉर्टर में घाटा दर्ज किया है। बाजार का अनुमान है कि सरकारी बैंकों का कुल घाटा 50000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है।