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बिहार: सीएम नीतीश कुमार के उद्घाटन से एक दिन पहले टूटा 389 करोड़ से बना बांध, RJD बोली-घोटाला हुआ है

बिहार के भागलपुर में करोड़ों रुपए की लागत से बना गंगा पंप नहर योजना के बांध उद्घाटन से पहले ही टूट गए हैं। इस वजह से आसपास के इलाके में पानी भर गया है. बांध की दीवार टूटने के चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्घाटन कार्यक्रम रद्द कर दिया है। बिहार और झारखंड़ में किसानों को सिंचाई के लिए पानी व्यवस्था करने के लिए भागलपुर जिले के बटेश्वरस्थान में गंगा नदी पर 389.31 करोड़ रुपए की लागत से इस बांध को तैयार किया गया है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महात्वाकांक्षी योजना है। बुधवार को इस बांध का उद्घाटन होना था। मंगलवार को ट्रायल रन के दौरान स्विच आन किए जाने पर पानी के अत्यधिक दबाव के कारण इस योजना के बांध की एक दीवार टूट गई।

इस परियोजना के बांध के टूटने पर ​प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद को नीतीश सरकार के खिलाफ हथियार मिल गया और राजद कार्यकर्ताओं ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए भागलपुर में मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री का पुतला दहन किया। राजद के पीरपैंती से विधायक रामविलास पासवान ने पत्रकारों से कहा कि करोडों रुपए के सृजन घोटाले के बाद भागलपुर में एक नया ‘घोटाला’ सामने आया है।

भागलपुर से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बांध के टूटने पानी के बहाव से कहलगांव, एनटीपीसी टाउनशिप के साथ आम नागरिक इलाके और कहलगांव के सिविल जज और सब जज के आवास में पानी प्रवेश कर गया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह के क्षेत्र में बना है यह बांध
इस परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह भाग लेने वाले थे।

जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरूण कुमार सिंह भागलपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर जिन इलाकों में पानी फैला है उसे निकाले जाने की निगरानी कर रहे हैं। अरूण सिंह ने बताया कि पानी के बहाव को रोकने के बालू भरे बोरे रखे जा रहे हैं।कहलगांव उक्त परियोजना स्थल से तीन किलोमीटर की दूरी पर है।

सिंचाई व्यवस्था सुचारू करने के लिए बनाया गया बांध
बिहार और झारखंड की इस साझा परियोजना के जरिए भागलपुर में 18620 हेक्टेयर तथा झारखंड के गोड्डा जिला की 4038 हेक्टयर भूमि सिंचित होगी। इस परियोजना द्वारा 27603 हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा सकता है जिसमें से 22816 हेक्टयर बिहार एवं 4887 हेक्टेयर झारखंड के भूखंड शामिल हैं।

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