बिहार में जातिगत आधार पर आबादी का विश्लेषण
बिहार में आबादी के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग में है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में स्वर्ण जाति की आबादी काफी कम है, जो केवल 15% है। आबादी में सिमट चुकी है।
जातिगत विवरण आबादी के हिसाब से:
- अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 36%
- पिछड़ा वर्ग: 27%
- अनुसूचित जाति: 19%
- अनूसचित जनजाति: 1%
जातिगत विवरण जातियों के हिसाब से:
- ब्राह्मण: 3.67%
- राजपूत: 3.45%
- भूमिहार: 2.89%
- कायस्थ: 0.60%
- यादव: 14.26%
- कुरमी: 2.87%
- तेली: 2.81%
- मुसहर: 3.08%
- सोनार: 0.68%
बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े आने के बाद, यह स्पष्ट है कि सबसे अधिक आबादी अति पिछड़े वर्ग में है। स्वर्ण जाति की कमी है, और विशेषज्ञता जाति के वोट स्थिर हैं।
इस संदर्भ में, बिहार के राजनीतिक मंच पर बिहार भाजपा और अन्य क्षेत्रीय दलों के बीच तनाव है। जबकि इंडिया गठबंधन में लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच समर्थन है, वहीं बीजेपी किसी भी जातिगत आधार पर गणना का समर्थन नहीं करती है।
राजनीतिक दलों के बीच की यह उम्मीद है कि जातिगत जनगणना के आंकड़े समाज में न्याय की दिशा में मदद करेंगे। इस साइकल के बीच, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी भी 2024 की राजनीति पर प्रभाव डाल सकती है।
धार्मिक धारा के हिसाब से बिहार की आबादी:
- हिन्दू: 81.99%
- इस्लाम: 17.7%
- अन्य धर्म: 1%
इसके आलावा, देश भर में विभिन्न राज्यों में जातिगत जनगणना को लेकर विभिन्न दल और नेताओं का समर्थन है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह नया मंडल की राजनीति का एक नया दौर हैl