पटना : गोपालगंज पॉलीटेक्निक के प्राचार्य डॉ फजले सरवर पर एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के प्रयास का आरोप है। स्थानीय थाना में इस मामले को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज की जा चुकी है। इसी बीच उसने एक और महिला के साथ बलात्कार का प्रयास किया जिसके संबंध में विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग ने कार्रवाई करते हुए संचिका मंत्री के पास अनुमोदन के लिए भेज दी। मगर अफसोस वो संचिका आज तक विभाग में नहीं लौटी जबकि उसे मंत्री को भेजे हुए तक़रीबन तीन महीने गुजर चुके हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या बलात्कारी ही सुशासन की सरकार चलाएंगे? इस पूरी कहानी को बता रहे है हमारे विशेष संवाददाता धर्मेंद्र प्रताप।
किसी ने ठीक ही कहा है –
“वो क़त्ल भी करते हैं तो आवाज नहीं होती,
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम”
एक सामान्य आदमी जब किसी की इच्छा के विरुद्ध उससे नजरें मिला ले तो उसपर क़ानूनी कार्रवाई हो जाती है वहीं दूसरी तरफ समाज के सबल लोग जब किसी का बलात्कार या फिर बलात्कार का प्रयास करते हैं तो यहां की सरकार उसपर क़ानूनी कार्रवाई करने के बजाय उसे एक साथ कई संस्थानों का प्रभारी बनाकर उसकी हौसला आफजाई करती है। ऐसा ही एक वाकया मोतिहारी राजकीय पॉलिटेक्निक को लेकर सामने आया है। मामले की शुरुआत होती है रीना कुमारी नाम की उस महिला से जिसने हेल्पलाइन मोतिहारी पश्चिम चंपारण की परियोजना प्रबंधक को इस आशय का एक आवेदन देकर उनसे न्याय की गुहार लगाई है।
22 फरवरी 2017 को लिखे इस आवेदन में रीना कुमारी ने कहा है कि कॉलेज कैंपस में प्राचार्य डॉ फजले सरवर के आदेश से एक दुकान खोली गयी है जिसे वह खुद चलाती है। यह दुकान दैनिक उपयोग में आनेवाली सामग्रियों की है। साथ में कॉलेज प्रशासन ने उन्हें मेस चलाने की भी इजाजत दी है। लेकिन, जब से उसे दुकान और मेस चलाने का आदेश प्राप्त हुआ है प्राचार्य फजले सरवर उस पर बुरी नजर रखते हुए तरह तरह से प्रताड़ित करने लगे हैं। वे बार-बार बोलते हैं कि तुम्हें दुकान और मेस दिया लेकिन, तुमने मुझे क्या दिया? अभी तक तुम मेरे उपर ध्यान नहीं दिए हो और न कभी मेरे आवास पर आती हो। इस तरह वे मुझपर दबाव बनाते हैं लेकिन जब मेरे उपर इनके किसी बात का असर नहीं हुआ तो मुझे वो धमकाने लगे। उन्होंने मुझे धमकी देते हुए कहा कि मैं यहां का प्राचार्य हूं। अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगी तो मैं तुम्हारे पति उमेश कुमार सिंह की नौकरी खा जाऊंगा या फिर उसे इतना दूर भेज दूंगा कि उसे घर आने के लिए सोचना पड़ जायेगा। धमकी में वे यह भी बोलते हैं कि मैं यहां का मालिक हूं। मेरे कलम में इतनी ताकत है कि मैं किसी का कुछ कर सकता हूं। जो चाहूंगा वही करूंगा और कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा।
रीना के पति उमेश सिंह वहीं कार्यालय परिचारी के पद पर काम करते हैं और फिर यह बात भी सच है कि सरवर का अबतक किसी ने भी कुछ नहीं बिगाड़ा। यहां तक कि विभाग की प्रधान सचिव रही अमिता पॉल ने भी नहीं। अमिता पॉल जो वर्ष 2013 में विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग की प्रधान सचिव थीं सरवर के मामले को लेकर 8 जुलाई 2013 को अपने संचिका में लिखी थीं कि डॉ सरवर सात वर्ष तक राजकीय पॉलिटेक्निक गोपालगंज में कार्यरत रहे हैं। ऐसा जांच समिति के सदस्यों द्वारा बताया गया है। इतने लंबे अर्से में हुई अनियमितताओं की संपूर्ण जांच विभाग के स्तर पर संभव नहीं है। अतः वित्तीय अनियमितताओं की विस्तृत व गहन जांच हेतु आर्थिक अपराध इकाई व अन्य अनियमितताओं व कथित आपराधिक कृत्यों की विस्तृत व गहन जांच हेतु निगरानी विभाग को भी उक्त रिपोर्ट की प्रतियां शीघ्र भेजते हुए इनपर आगे की जांच किए जाने का अनुरोध किया जा सकता है।
अमिता पॉल का वह आदेश होगा कहीं कबाड़ में लेकिन सरवर मस्ती में है। हमारे मोतिहारी संवाददाता कैलाश गुप्ता ने जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि वे कहां के प्रिंसिपल से बात करना चाहते हैं? वे यानि सरवर एक ही साथ चार जगहों के प्रिंसिपल हैं। वह अब गोपालगंज ही नहीं बल्कि मोतिहारी, बेतिया और सीतामढ़ी पॉलिटेक्निक के भी प्राचार्य हैं। कोई एक जगह का प्राचार्य बनने के लिए तरस रहा है तो सरवर चार -चार जगह का प्राचार्य बने बैठे हैं। इसे कहते हैं मुकद्दर का सिकंदर, वो भी तब जबकि मोतिहारी के महिला थाना में उनके खिलाफ बलात्कार के प्रयास का मामला दर्ज है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि उमेश सिंह को हटाने या फिर उसे विरमित करने का अधिकार प्राचार्य को नहीं है वाबजूद सरवर ने उसे विरमित करके अपने अधिकार और मर्यादा का उल्लंघन किया है।
इसके पूर्व 2010 में भी डॉ सरवर ने एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का प्रयास किया था। 19 अगस्त 2010 को गुड़िया खातुन नाम की एक लड़की ने गोपालगंज थाना प्रभारी को एक आवेदन देकर कहा कि, मैं गुड़िया खातुन पिता – सगीर आलम, ग्राम – रसलपुर तकिया, थाना – बड़हड़िया, जिला – सीवान की रहने वाली हूं। वर्तमान में मैं अपने माता – पिता के साथ आईबी के पीछे गोपालगंज में किराए के मकान में रहती हूं। आज दिनांक -19- 4 -2010 को समय करीब 8 बजे रात्रि में मेरी मां खाना बना रही थी। मैं अपने कमरे में पढ़ रही थी। उसी समय फजले सरवर, पिता का नाम – न मालूम, ग्राम – जंगलिया, जिला – गोपालगंज जो सिपाया पॉलिटेक्निक के प्रिंसपल हैं, मेरे कमरे में घुस गए तथा रिवाल्वर का भय दिखाकर वे मेरे साथ बलात्कार करने का कोशिश किए। इसपर मैं चिल्लाई तो मेरी मां तथा पिताजी दौड़ कर आए। इसपर वह उठकर भागने लगे उसी समय पुलिस आ गई और उसे पकड़ ली। उसके पास से वो रिवाल्वर और गोली भी जब्त कर ली। इस मामले को लेकर सरवर तेरह दिन तक जेल में बंद थे।
प्रावधान है कि 24 घंटे तक अगर कोई सरकारी कर्मचारी / पदाधिकारी यदि हिरासत में रहता है तो उसे निलंबित कर दिया जाता है लेकिन सरवर के लिए कोई कानून काम नहीं करता। सोचने की बात यह है कि यदि कानून है तो फिर सरवर उसकी परिधि से बाहर कैसे है और एक ही साथ चार पॉलिटेक्निक कॉलेजों का प्राचार्य कैसे है?