नई दिल्ली : 22 जनवरी को स्विट्जरलैंड के शहर दावोस में विश्व व्यापार मंच यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का आयोजन हो रहा है। माना जा रहा है कि इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हो सकती है। जहां ट्रंप कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए रजामंदी दे चुके हैं तो वहीं पीएम मोदी भी 22 जनवरी को दावोस में विश्व आर्थिक मंच को संबोधित करेंगे।
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स की ओर से इस बाबत जो भी जानकारी दी गई है उससे तो दोनों नेताओं की मुलाकात का अंदाजा लगाया जा रहा है। सैंडर्स ने एक बयान में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस मौके पर दुनिया के नेताओं के सामने अपने अमेरिका फर्स्ट के एजेंडा को रखेंगे। उन्होंने कहा कि इस साल विश्व आर्थिक मंच पर ट्रंप अमेरिकी व्यवसाय, उद्योग और कामगारों को मजबूती देने के लिए अपनी नीतियों को प्रमोट करेंगे।
दावोस में हर वर्ष होने वाले इस सम्मेलन में पीएम मोदी के अलावा 6 अन्य केंद्रीय मंत्री. 2 सीएम, कई उच्च अधिकारी और करीब 100 सीईओ भी मौजूद रहेंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सुरेश प्रभु, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रेल मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर शामिल हैं। इनके साथ आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू व देवेंद्र फडणवीस भी सम्मेलन में शामिल होंगे।
पीएम मोदी 1997 के बाद इस प्रतिष्ठित वैश्विक व्यापारिक सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले 1997 में अपने छोटे कार्यकाल के दौरान देवेगौड़ा इस सम्मेलन में शामिल हो चुके हैं। नरसिम्हा राव 1994 में इस सम्मेलन में शामिल होने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। वाजपेयी और मनमोहन सिंह अपने कार्यकाल के दौरान विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे।
इसी तरह से ट्रंप से पहले 2000 में क्लिंटन इस सम्मेलन में शामिल हो चुके हैं। इसके बाद बुश और ओबामा इसमें शामिल नहीं हुए थे। पिछले साल चीन की तरफ से पहली बार चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में शामिल हुए थे।
पिछले दो वर्षों में पीएम मोदी और ट्रंप की दो बार मुलाकात हो चुकी है। दोनों नेता जून 2017 में पहली बार वॉशिंगटन डीसी में मिले थे। इसके बाद इनकी दूसरी मुलाकात आसियान बैठक के दौरान हुई थी। दावोस एक बार फिर दोनों नेताओं की मुलाकात का एक मंच हो सकता है।