नई दिल्ली : बॉलीवुड फिल्मों में मिस्टर परफेक्सनिस्ट माने जाने वाले आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘PEEPLI LIVE’ के सह-निर्देशक महमूद फारूकी को अमेरिका रिसर्च स्कॉलर से दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। दुष्कर्म की शिकार अमेरिकी युवती ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। बता दें कि वर्ष 2015 में अमेरिका रिसर्च स्कॉलर युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे सबूतों में कहीं से भी महिला द्वारा न नहीं दिखा। कोर्ट ने पूछा कि दुष्कर्म के कितने ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पीड़िता अपने आरोपी के प्रति प्यार जाहिर करने के लिए पत्र लिखती है। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यह काफी अच्छे तरीके से लिखा गया फैसला है।
बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में दिल्ली हाई कोर्ट ने बॉलीवुड फिल्म पीपली लाइव के सह-निर्देशक महमूद फारूकी (45) को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया था।
इससे पूर्व ट्रायल कोर्ट ने बीते वर्ष उन्हें विदेशी शोधकर्ता से दुष्कर्म के मामले में सात साल कारावास की सजा सुनाई थी। आरोप था कि नशे में फारूकी ने विदेशी महिला को दुष्कर्म का शिकार बनाया था।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने के दौरान न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ ने कहा था कि महिला द्वारा लगाए गए आरोपों में स्थिरता नहीं है। ऐसे में संदेह का लाभ देते हुए फारूकी को बरी किया जाता है।
तब जेल प्रशासन को यह निर्देश दिए गए थे कि फारूकी को तत्काल बरी किया जाए। हाई कोर्ट ने कहा था कि जब दो लोग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं तो उनके बीच ऐसी चीजें हो जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि महिला के साथ दुष्कर्म हुआ। महिला का बयान पूरी तरह विश्वास योग्य नहीं है।
अभियोजन पक्ष का कहना था कि महमूद फारूकी ने वर्ष 2015 में दक्षिण दिल्ली स्थित अपने घर में अमेरिकी शोधकर्ता को दुष्कर्म का शिकार बनाया था। वहीं फारुकी के वकील ने बताया कि दोनों रिलेशनशिप में थे।
कब क्या हुआ
20 जून 2015: दुष्कर्म के मामले में दक्षिण दिल्ली जिला पुलिस ने महमूद फारूकी को अमेरिकी शोधकर्ता की शिकायत पर किया था गिरफ्तार।
29 जुलाई: पुलिस ने मामले में साकेत जिला अदालत में दाखिल किया आरोपपत्र।
9 अगस्त: मजिस्ट्रेट अदालत ने आरोपपत्र को स्वीकार करते हुए इसे ट्रायल के लिए सत्र न्यायाधीश के पास भेजा।
2 सितंबर: अदालत ने फारूकी के खिलाफ तय किए आरोप।
30 मई 2016: अदालत ने दोनों पक्षों की तरफ से अंतिम बहस सुनने के बाद अपना फैसला रखा सुरक्षित।
30 जुलाई: फारूकी को दिया गया दोषी करार।
4 अगस्त: दुष्कर्म के मामले में फारूकी को सुनाई गई सात साल कारावास की सजा।
3 अक्टूबर: निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में दी गई चुनौती।
1 सितंबर 2017: हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित।
25 सितंबर: हाई कोर्ट ने फारूकी को दुष्कर्म के मामले में किया बरी।