नई दिल्ली : बेरोजगारी की समस्या को लेकर पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पी चिदंबरम ने रविवार (28 जनवरी) एक के बाद एक कई ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस बात पर भी तंज कसा जिसमें उन्होंने पकौड़ा बेचने को रोजगार बताया था। उन्होंने कहा कि इस प्रकार तो भीख मांगने को भी रोजगार में गिना जाना चाहिए।
चिदंबरम ने ट्वीट में लिखा- ”प्रधानमंत्री कहते हैं कि पकौड़ा बेचना भी जॉब है, इस तर्क के अनुसार भीख मांगना एक जॉब है। आइये ऐसे गरीब और दिव्यांग लोगों की गिनती करते हैं जिन्हें एक नौकरीपेशा जीवन जीने के लिए भीख मांगने को मजबूर किया जाता है।”
चिदंबरम ने दावा किया कि 2017-18 में देश के दो विद्वानों ने 70 लाख नौकरियां बेकार कर दीं। उन्होंने कहा कि पहले कहा गया था कि किसी को नया रोजगार शुरू करने के लिए 43 हजार रुपये की मुद्रा लोन दी जाएगी, लेकिन एक आदमी बता दीजिए जिसने इतनी रकम के साथ कोई रोजगार शुरू किया हो।
चिदंबरम ने कहा कि सरकार के एक और मंत्री चाहते थे कि मनरेगा को नौकरी में गिना जाए, तो इर प्रकार से तो मनरेगा के तहत काम करने वाले 100 दिन के लिए नौकरीपेशा हुए और बाकी 265 दिन बेरोजगार।
उन्होंने काहा कि निजी निवेश, निजी खपत, निर्यात और क्रेडिट मांग में मजबूत वृद्धि करके वास्तविक रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जो कि अभी तक होता दिखाई नहीं दे रहा है। चिंदबरम ने कहा कि तीन साल में सरकार के पास रोजगार के अवसर पैदा करने का एक भी उदाहरण नहीं है।
बता दें कि 19 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में पकौड़ा बेचने को भी रोजगार बताया था। उन्होंने कहा था कि अगर पकौड़ा बेचने वाला 200 रुपये कमाकर घर पहुंचता है तो क्या वह रोजगार में नहीं गिना जाएगा?