पाकिस्तानी पर बड़ा वित्तीय संकट मंडरा रहा है. सिर्फ 2 माह के आयात लायक विदेशी मुद्रा पाकिस्तान के पास बची है. आलम यह है कि पिछले 6 माह में पाक ने तीसरी बार रुपये की कीमत घटाई
बता दें कि करेंसी की वैल्यू घटाने का मकसद आयात कम करना और निर्यात बढ़ाना है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो पाकिस्तान का चालू खाते का घाटा (सीएडी) जीडीपी के 5.3% तक पहुंच गया है.
यहां तक कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 10 अरब डॉलर का रह गया है. यह तीन साल में सबसे कम है और इससे सिर्फ दो महीने का आयात किया जा सकता है.
जानकारों का मानना है कि करेंसी सस्ती होने की वजह से भारत की तुलना में पाकिस्तान का निर्यात ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो सकता है.
क्योंकि कम विकसित देश होने के कारण पाकिस्तान से आयात पर यूरोप में कोई शुल्क नहीं लगता, जबकि विकासशील देश होने के नाते भारत से आयात पर शुल्क लगता है.
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का आकलन है कि साल के अंत तक पाकिस्तानी करेंसी की वैल्यू 125 रुपए तक गिर सकती है. फिलहाल इसकी वैल्यू सोमवार तक एक डॉलर पर 119.85 रुपये है.