भोपाल. सुप्रीम कोर्ट से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद भोपाल में तीन तलाक का पहला मामला सामने आया है। यहां ऐशबाग इलाके में काली चाय देने पर एक शख्स ने पत्नी को तीन बार तलाक बोल दिया। महिला ने पति से दूध के लिए पैसे मांगे थे, जिस पर उसने मायके से दूध के पैसे लाने को कहा था।
– तलाक बोलने के बाद पति महिला को घर में रखने को तैयार नहीं है। पीड़िता शिकायत लेकर महिला थाने पहुंची तो पुलिस ने ऐसे मामलों के लिए बनाई गई संस्था गौरवी वन स्टॉप क्राइसिस में जाने की सलाह दी।
– गौरवी की काउंसलर प्रीति सिंह ने महिला के पति अफजल से फोन पर बात की और काउंसलिंग के लिए बुलाया तो उसका कहना था कि उसने गुस्से में तलाक दिया है। उसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं है। अब वह काजियात से पूछकर ही पत्नी को रखेगा।
– गौरवी की काउंसलर प्रीति सिंह ने महिला के पति अफजल से फोन पर बात की और काउंसलिंग के लिए बुलाया तो उसका कहना था कि उसने गुस्से में तलाक दिया है। उसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं है। अब वह काजियात से पूछकर ही पत्नी को रखेगा।
कानून के दायरें में ही जवाब दिया जाएगा: शहर काजी
– उधर, शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है कि तलाक के मामले को लेकर अगर कोई काजियात में सवाल लेकर आएगा तो कानून के दायरे में रहकर ही जवाब दिया जाएगा।
– उधर, शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है कि तलाक के मामले को लेकर अगर कोई काजियात में सवाल लेकर आएगा तो कानून के दायरे में रहकर ही जवाब दिया जाएगा।
पति नहीं माना ताे कराएंगे FIR
– सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई भी धर्मगुरु तलाक को लेकर फतवा जारी नहीं कर सकता। पति महिला को रखने को तैयार नहीं होगा तो एफआईआर कराई जाएगी। -एडवोकेट मुहसिन खान, गौरवी के मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्सपर्ट
– सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई भी धर्मगुरु तलाक को लेकर फतवा जारी नहीं कर सकता। पति महिला को रखने को तैयार नहीं होगा तो एफआईआर कराई जाएगी। -एडवोकेट मुहसिन खान, गौरवी के मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्सपर्ट
कौन-से तलाक बरकरार हैं? मुस्लिम समुदाय में तलाक कैसे होंगे?
– सुप्रीम कोर्ट एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को गैर-कानूनी करार दे चुका है।
– सुप्रीम कोर्ट एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को गैर-कानूनी करार दे चुका है।
– जब तलाक-ए-बिद्दत खारिज हो चुका है लेकिन सुन्नी मुस्लिमों के पास दो ऑप्शन बरकरार हैं। पहला है- तलाक-ए-अहसन और दूसरा है- तलाक-ए-हसन।
– तलाक-ए-अहसन के तहत एक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को महीने में एक बार तलाक कहता है। अगर 90 दिन में सुलह की कोशिश नाकाम रहती है तो तीन महीने में तीन बार तलाक कहकर पति अपनी पत्नी से अलग हो जाता है। इस दौरान पत्नी इद्दत (सेपरेशन का वक्त) गुजारती है। इद्दत का वक्त पहले महीने में तलाक कहने से शुरू हो जाता है।
– तलाक-ए-हसन के तहत पति अपनी पत्नी को मेन्स्ट्रूएशन साइकिल के दौरान तलाक कहता है। तीन साइकिल में तलाक कहने पर डाइवोर्स पूरा हो जाता है।
– तीन तलाक मामले की पैरवी कर चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ एक साथ तीन तलाक कहने (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन में दखल नहीं दिया है।
– तलाक-ए-अहसन के तहत एक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को महीने में एक बार तलाक कहता है। अगर 90 दिन में सुलह की कोशिश नाकाम रहती है तो तीन महीने में तीन बार तलाक कहकर पति अपनी पत्नी से अलग हो जाता है। इस दौरान पत्नी इद्दत (सेपरेशन का वक्त) गुजारती है। इद्दत का वक्त पहले महीने में तलाक कहने से शुरू हो जाता है।
– तलाक-ए-हसन के तहत पति अपनी पत्नी को मेन्स्ट्रूएशन साइकिल के दौरान तलाक कहता है। तीन साइकिल में तलाक कहने पर डाइवोर्स पूरा हो जाता है।
– तीन तलाक मामले की पैरवी कर चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ एक साथ तीन तलाक कहने (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन में दखल नहीं दिया है।
– सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ तलाक-ए-बिद्दत पर फैसला दिया है।