मुंबई : बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने अपने जीवन और फ़िल्मी करियर को लेकर एक कार्यक्रम में कई रोचक बातें बताई। इस कार्यक्रम में बातचीत के दौरान धम्रेंद्र ने अपनी मां से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया।
धर्मेंद्र ने बताया, ‘मां से ज्यादा काम बाप करता है, लेकिन उतना श्रेय नहीं मिलता। मां से प्यार होता है। मां जब काम करती थी लगता था मैं भी काम करूं उनका। मैं मां के पैर दबाता था। एक दिन ड्रिंक कर मैंने बहुत अच्छे से मां के पैर दबाए। मां ने कहा, थोड़ी पी लिया कर।’ धर्मेंद्र ने हंसकर कहा, उनके कहने का मतलब था कि मत पिया करो। मां चाहती थीं कि मेरे बच्चे अच्छे इंसान बन कर रहे।’ धर्मेंद्र ने कहा, ‘इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं होता। कहां कितना क्या बोलना है, हमें पता होना चाहिए।
धर्मेंद्र ने बताया कि वो बॉलीवुड में पैसे कमाने नहीं आए थे। उन्होंने कहा, ‘मैं लोगों के दिलों में जगह बनाना चाहता था। लोग मुझे अपना भाई दोस्त समझते हैं। इसे देखकर मुझे खुशी होती है। मैं आज भी अपनी मिट्टी को नहीं भूला हूं। आज भी जिम्मेदारी वही है। अपने लोगों से उतनी ही मोहब्बत है।’ धर्मेंद्र ने कहा, ‘आज मैं सोचता हूं कि मुझमें भी कोई बात थी तभी लोगों ने मुझे इतना पसंद किया।’
शुक्रवार को इस कार्यक्रम के एक सवाल के जवाब में धर्मेंद्र ने कहा, ‘शोले में ‘मौसीजी’ की लाइन उन्होंने खुद लिखी। शोले के सारे संवाद सलीम-जावेद ने नहीं लिखा था। मैं कॉमेडी एन्जॉय करता हूं। मैं कुछ भी बोल जाता था। मैं अपने संवाद खुद बनाता था। कॉमेडी नशा है।’ उन्होंने कहा, हीमैन रोमांस इमोशनल चीजें हो जाती हैं, लेकिन कॉमेडी मुश्किल है। टाइमिंग सही नहीं हो तो सब गलत हो जाएगा। महमूद को मैं कहता था बचकर रहना। महमूद के साथ हीरो काम करने से झिझकते थे। कॉमेडी में बहुत कुछ अंदर से आता है।’
धर्मेंद्र ने कार्यक्रम में बातचीत के दौरान कहा कि, मेरे लिए दिलीप कुमार इंस्पिरेशन थे और मधुबाला उससे भी ज्यादा। शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, ‘मैं दिलीप कुमार और हीरोइनों को देखकर सोचता था कि ये अप्सराएं हैं। सोचता था कहां रहते हैं ये लोग? दिलीप कुमार प्रेरणा थे। मधुबाला तो प्रेरणा से भी ज्यादा थीं।