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दो बड़ी ताकतों में विरोध होना सामान्य, भारत के साथ पूरा सहयोग करेंगे: चीन

चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी ने कहा कि अहम बात ये है कि हम समस्याओं को सही जगह पर उठाएं और आपसी बातचीत से हल करें। (फाइल)
बीजिंग। चीन ने कहा है कि दो बड़ी ताकतों में विरोध होना सामान्य सी बात है। एशिया के 2 बड़े देश भारत और चीन एक-दूसरे को सहयोग करने की क्षमता रखते हैं। बता दें कि नरेंद्र मोदी सितंबर के पहले हफ्ते में BRICS समिट में हिस्सा लेने चीन जाने वाले हैं। वहीं, 28 अगस्त को भारत-चीन के बीच 72 दिन चला सीमा विवाद हल हो गया। चीन डोकलाम से अपनी सेना वापस बुलाने पर राजी हो गया था। उसने इलाके में सड़क बनाने में लगे बुलडोजर भी वापस बुला लिए थे। हम मसलों को सही जगह उठाते हैं…
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चीन के फॉरेन मिनिस्टर वांग यी ने कहा, “दो कद्दावर पड़ोसियों में विरोध का होना सामान्य सी बात है। अहम बात ये है कि हम समस्याओं को सही
पर उठाएं और आपसी बातचीत से हल करें। साथ ही एक-दूसरे का सम्मान करें। इसके लिए जरूरी होता है कि दोनों देशों के नेताओं में एकराय हो।”
“भारत और चीन में काफी संभावनाएं हैं और दोनों देश एक-दूसरे को बेहतर तरीके से सहयोग कर सकते हैं।”
बता दें कि डोकलाम पर चीन साफ कर चुका है कि वह इलाके में पैट्रोलिंग जारी रखेगा।
इन 6 वजहों से चीन पीछे हटा
1) भारत कहीं BRICS का बायकॉट न कर दे
नरेंद्र मोदी को अगले हफ्ते ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका) समिट में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग जाना है। अगर वो इस विवाद की वजह से वहां नहीं जाते
तो ये चीन को इंटरनेशनल लेवल पर बड़ा नुकसान माना जाता।
डोकलाम विवाद जारी रहने तक (16 जून से 28 जुलाई) मोदी की चीन विजिट का भारत की तरफ से आधिकारिक एलान नहीं किया गया था। मसला सुलझने के बाद मंगलवार को ने पीएम के चीन दौरे की बात कही। ब्रिक्स समिट इसलिए भी खास है, क्योंकि भारत ने मई में वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) समिट में हिस्सा नहीं लिया था। भारत का तर्क था कि चीन-पाक कॉरिडोर पीओके से गुजरेगा। ये भारत की सॉवेरीनटी (संप्रभुता) के लिहाज से सही नहीं है। बता दें कि 9th ब्रिक्स समिट 3 से 5 सितंबर तक चीन के शियामेन में होगी।
2) फिर से सीपीसी का कमान मिलने की उम्मीद
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की आने वाले महीनों में 19th नेशनल कांग्रेस होनी है।
प्रेसिडेंट शी जिनपिंग को उम्मीद है कि सीपीसी के महासचिव के तौर पर उनको पांच साल का दूसरा कार्यकाल मिलेगा।
जिनपिंग उस कोर ग्रुप को चुनेंगे जो अगले पांच देश को चलाने में उनकी मदद करेंगे। अगर सीमा विवाद आगे बढ़ता तो यह उनकी मुश्किल को बढ़ा सकता था।
3) बॉर्डर पर भारत फौज बढ़ाई, भूटान का साथ मिला डोकलाम इलाके में चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा है। भारत भी इस गैप को भर रहा है।
भारत ने चीन से सटे सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के 1400 किलोमीटर लंबे सिनो-इंडिया बॉर्डर पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी। सरकार के मुताबिक, देश की पूर्वी सरहद पर फौज के लिए अलर्ट लेवल बढ़ा दिया गया था। डोकलाम में पहले से ही 350 आर्मी पर्सनल तैनात थे।
भूटान के मुताबिक डोकलाम में उसका इलाका भी आता है। चीन उसके इलाके में सड़क बनाने की कोशिश कर रहा था। भूटान की गुजारिश पर ही भारतीय जवान वहां पहुंचे तो सैनिकों को रोका था।
4) जंग से ज्यादा नुकसान होगा, जीतेगा कोई नहीं
अगर भारत-चीन के बीच जंग होती तो दोनों देशों को भारी जन हो सकती थी। जंग लंबी चल सकती थी। दोनों में से कौन जीतेगा, इसको लेकर असमंजस था।
विवाद के दौरान अरुण जेटली ने कहा था कि हालात बदल चुके हैं। 1962 वाला भारत अब नहीं रहा।
5) भारत को मिला जापान और अमेरिका का साथ मिला
चीन ने डोकलाम पर कोई समझौता ना करने की जिद में खुद को कैद कर लिया था, जिससे निकलने का यही रास्ता था।
बीजिंग सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं करना चाहता था कि वह इस मसले पर पीछे हट गया है। हालांकि, अभी उसने ऑफिशियल बयान नहीं दिया है।
अमेरिका भी पहले कह चुका है कि वो डोकलाम में पहले जैसे हालात का सपोर्ट करता है। जापान ने भी भारत का सपोर्ट किया।
6) भारत के खिलाफ चीन की थ्री वॉरफेयर्स स्ट्रैटिजी फेल थ्री वॉरफेयर्स स्ट्रैटिजी के तहत चीन ने भारत को कई धमकियां दीं। बीते 2 महीनों में दी गई धमकियों को इंटरनेशनल लेवल  पर कोई तवज्जो नहीं मिली। इसके लिए चीन ने अपने विदेश मंत्रालय और सरकारी मीडिया का इस्तेमाल किया।
भारत के खिलाफ इस मनोवैज्ञानिक जंग में उसे जीत नहीं मिली। बता दें कि पहले चीन ने फिलीपींस के साथ यही रणनीति अपनाई थी।
इसी का नतीजा था कि UNCLOS ( संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि) में चीन के खिलाफ ऐतिहासिक जीत के बावजूद फिलीपींस को झुकना पड़ा था।
क्या था डोकलाम विवाद?
चीन ने डोकलाम में 16 जून से सड़क बनाना शुरू की थी। भारत ने विरोध जताया तो चीन ने घुसपैठ कर दी थी। चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए थे। बता दें कि डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत, भूटान का साथ देता है।
चीन ने धमकियां दीं, भारत ने संयम रखा
चीन ने अपने विदेश मंत्रालय और सरकारी मीडिया के जरिए भारत को कई धमकियां दीं। हालांकि, भारत की तरफ से संयमित बयान दिए गए। सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि बातचीत से ही इस मसले का हल निकलेगा। लेकिन इससे पहले चीन को अपनी सेना वापस बुलानी होगी।
इसी बीच, 15 अगस्त को चीन के कुछ सैनिकों ने लद्दाख की पेंगगोंग लेक के करीब भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को रोकने की कोशिश की। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच पहले हाथापाई हुई। इसके बाद मामला पत्थरबाजी तक पहुंच गया।
क्या समझौता हुआ?
दोनों देश डोकलाम से अपनी- अपनी सेनाएं पीछे हटाएंगे। 16 जून के पहले बॉर्डर पर जो स्थिति थी उसका पालन करेंगे। हालांकि, चीन ने इसका ऑफिशियल एलान नहीं किया । फॉरेन मिनिस्ट्री के हवाले से बताया कि चीन ने बॉर्डर से रोड बनाने के इक्विपमेंट और बुलडोजर्स हटा लिए हैं। लेकिन चीन ने दावा किया है कि वह इस इलाके में
अपनी गश्त जारी रखेगा

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