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देश में पहली बार किसी अस्पताल में टूटते रिश्तों का इलाज किया जाएगा।

दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलायड साइंसेज में खोली जाएगी क्राइसिस इंटरवेंशन यूनिट।

 

नई दिल्ली.देश में पहली बार किसी अस्पताल में टूटते रिश्तों का इलाज किया जाएगा। मां-बेटा, पति-पत्नी, सास-बहू या कोई भी रिश्ता अगर बीमार है, तो उसे यहां भला-चंगा किया जाएगा। दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलायड साइंसेज (इहबास) में क्राइसिस इंटरवेंशन यूनिट (सीआईयू) खोली जाएगी। डॉक्टरों ने इसकी पूरी योजना तैयार कर ली है। इस यूनिट को पहले 3 महीने के ट्रायल प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा। ट्रायल सफल रहा तो इसे आगे भी जारी रखा जाएगा।

 

5 प्वाइंट्स: कैसे होगा इलाज
1.
 नई दिल्ली के इहबास में अब तक मानसिक रोगियों का इलाज होता है। लेकिन टूटते रिश्तों के इलाज का ये प्रयोग अनूठा है। यहां के डॉक्टरों का दावा है कि अभी तक देश के किसी भी प्राइवेट या सरकारी संस्था में इस तरह की व्यवस्था मौजूद नहीं है।

2.इस योजना को अस्पताल की गवर्निंग बॉडी ने भी पास कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि अब इसका स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया जा रहा है। सीआईयू में अभी पांच बेड ही रखे जाएंगे। बाद में इसे बढ़ाया जा सकता है।

3. इबहास के डॉक्टरों का कहना है कि सीआईयू में आने वाले मरीजों को घर जैसा वातावरण देकर उन्हें भावनात्मक मदद देने की कोशिश की जाएगी। अमूमन भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत तभी ज्यादा होती है जब घरेलू कलह या करीबी लोगों से झगड़ों के कारण रिश्ते टूटने की कगार पर आ जाएं। इस इमोशनल क्राइसिस से मरीज को उबारने का काम सीआईयू के डॉक्टर करेंगे।

4. सीआईयू में भर्ती हुए लोगों की मनोदशा को समझने के साथ ही उनकी काउंसलिंग भी की जाएगी, जिसमें किसी मनोचिकित्सक की बजाय मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद ली जाएगी।

5.पति-पत्नी, गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड, पिता-पुत्र, मां-बेटा और सास-बहू जैसे नाजुक रिश्तों के इलाज को सीआईयू में प्राथमिकता दी जाएगी। जिनके रिश्ते खराब हुए हैं, उन्हें यहां के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर भावनात्मक मदद देंगे।

 

साइकैट्रिक यूनिट से अलग होगा सीआईयू का काम
इहबास के डायरेक्टर डॉ. निमेश देसाई ने बताया कि- ‘हमारे पास पहले से ही एक साइकैट्रिक आईसीयू है, जहां बहुत आक्रामक या हिंसात्मक प्रवृत्ति के लोगों का इलाज किया जाता है। यहां आत्महत्या की प्रवृति वाले लोगों को भी भर्ती किया जाता है। लेकिन क्राइसिस इंटरवेंशन यूनिट का काम साइकैट्रिक यूनिट से अलग होगा। ऐसे लोग जो मानसिक रूप से बीमार नहीं हैं लेकिन उन्हें भावनात्मक रूप से मदद की जरूरत है, उनके इलाज के लिए सीआईयू मदद करेगी। इबहास में पहले ही मानसिक रोगियों के लिए तमाम रिहैबलिटेशन प्रोजेक्ट चल रहे हैं। सीआईयू को भी उसी कड़ी में शामिल किया गया है।

 

 

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