नई दिल्ली : मोदी सरकार के लिए एक राहत भरी खबर है। देश की अर्थव्यवस्था ने अब रफ़्तार पकड़ ली है। वित्त वर्ष 2017 की दूसरी तिमाही में विकास दर 5.7 फीसदी से बढ़कर 6.3 फीसदी हो गई है। पिछली तिमाही में जीएसटी लागू होने के बाद देश की जीडीपी में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। इसकी वजह जीएसटी को लेकर कारोबार जगत में अनिश्चितता का माहौल होना बताया गया था, लेकिन एकबार फिर जीडीपी में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था और सरकार दोनों के लिए अच्छा संकेत है। इससे आने वाले समय में जहां एक ओर उद्योग जगत में भरोसा बढ़ेगा तो दूसरी ओर नौकरी की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी।
पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 5.7 फीसदी थी। पहली तिमाही में विकास दर के आंकड़े 13 तिमाही के निचले स्तर पर पहुंच गया था और इसके लिए आर्थिक जानकारों ने नवंबर 2016 में नोटबंदी समेत बड़े आर्थिक उलटफेर को जिम्मेदार ठहराया था। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 31.66 लाख करोड़ अनुमानित है जबकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान यह 29.79 लाख करोड़ थी।
जीएसटी लागू होने और नोटबंदी की वजह से जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में कमी आई थी। अब जीएसटी सेटल हो रहा है और नोटबंदी को एक साल हो चुका है। ऐसे में इकनॉमिक ऐक्टिविटी में रिकवरी हो रही है। एसबीआई ने भी एक रिपोर्ट में कहा था कि सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में रिकवरी होती दिखी है और यह 6-6.5 पर्सेंट के बीच रह सकती है। रिपोर्ट में विदेशी टूरिस्टों की संख्या बढ़ने, एयर फ्रेट ट्रैफिक, रेलवे ट्रैफिक और टेलिफोन सब्सक्राइबर्स की संख्या में हाल के महीनों में बढ़ोतरी का जिक्र किया गया है। सितंबर में भारत में पैसेंजर वीइकल सेल्स में 11.32 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई थी।
गौरतलब है कि सामानों पर लगने वाले नेट टैक्स को जीवीए में जोड़कर जीडीपी निकाला जाता है। प्रॉडक्ट्स पर नेट टैक्स में से सब्सिडी को हटाकर जो आंकड़ा हासिल होता है, वह यहां नेट टैक्स है। इनडायरेक्ट टैक्स संबंधी अनिश्चितता की वजह से अधिकतर ऐनालिस्ट अब जीवीए को ग्रोथ का सही आईना मान रहे हैं। इंडस्ट्रियल ग्रोथ में रिकवरी और कंजम्पशन डिमांड बढ़ने की वजह से सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में रिकवरी की बात कही जा रही थी।