हर साल दिसंबर में दुनिया भर के कई शहरों में नो पैंट्स डे का आयोजन किया जाता है। इस दौरान लड़के-लड़कियां बिना पैंट्स के मेट्रो में सफर करते हैं। आखिर क्यों इसका आयोजन होता है, आइए जानते हैं…
इस साल भी ‘नो पैंट्स डे’ फ्लैश मॉब में हजारों युवाओं ने हिस्सा लिया है। नो पैंट्स डे की शुरुआत न्यूयॉर्क में 17 साल पहले हुई थी, लेकिन अब यह 60 शहरों में होने लगा है, जहां लड़के और लड़कियां बिना पैंट्स के मेट्रो में सफर करते हैं। इस दिन विभिन्न शहरों के युवा बिना किसी शर्म के पैंट्स उतार के चलते नजर आते हैं। इनमें बड़ी संख्या लड़कियों की भी है।
हंसाने के लिए हुई थी शुरुआत
लंदन में 400 से अधिक लोगों ने रविवार को इसमें हिस्सा लिया, जबकि शहर का तापमान 3 डिग्री पर पहुंच गया था। इस इवेंट की शुरुआत बहुत ही मामूली बात से हुई थी, वह था- लोगों को हंसाना। इंप्रोव एवरीह्वेयर नाम के प्रैंक कलेक्टिव इसका आयोजन करता है। उनका कहना है कि अजनबी यात्री किसी मेट्रो स्टेशन पर ट्रेन में सवार होते हैं, सर्दियों के मध्य में वह भी बिना पैंट के। इवेंट में पार्टिसिपेट करने वाले लोग ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे वे एक-दूसरे को नहीं जानते हों।
हालांकि, कई कपल इवेंट में शिरकत करते हैं और इस दौरान फोटोज में प्यार जताते भी नजर आते हैं। डेली मेल के मुताबिक, 25 देशों के 60 शहरों में कई हजार लोग नो पैंट्स डे में शामिल हुए। प्राग, लंदन, बर्लिन, ब्रिसबेन, म्यूनिख सहित तमाम शहरों में लोग नो पैंड्स डे में शरीक होते देखे गए। इवेंट में शामिल होने वाले लोग कोट, हैट, स्कार्व और ग्लव्स समेत सबकुछ पहनते हैं सिवाए पैंट्स के। कई प्रेमी जोड़े भी इस इवेंट में शामिल हुए। ऑफिस जाने वाले लोगों ने भी इस इवेंट में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।