वाशिंगटन : अमरीका पर एक बार फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। दिवालिया होने की कगार पर खड़ा अमरीका इस संकट से निकलने को छटपटा रहा है। हालांकि वहां की सरकार इस शटडाउन से निपटने का हर संभव प्रयास कर रही है। यही कारण है कि अमरीकी कांग्रेस के निचले सदन की प्रतिनिधि सभा ने संघीय सरकार को आर्थिक मंजूरी प्रदान करने वाले विधेयक को पारित कर दिया है। जबकि ऊपरी सदन सीनेट में भी पास कराए जाने के प्रयास जारी हैं। बता दें कि यदि यह विधेयक सीनेट से पास नहीं हो पाता तो आर्थिक मंजूरी की कमी के चलते देश में सरकारी कामकाज ठप हो जाएगा।
दरअसल, अमरीका में सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाली प्रतिनिधि सभा ने इस विधेयक को हरी झंडी दे दी है। जबकि सीनेट में यह विधेयक मुश्किलों में घिरा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सीनेट में सत्तारूढ़ दल को डेमोक्रेट पार्टी के समर्थन की जरूरत है। दरअसल अमरीका में एंटी डेफिशिएंसी एक्ट लागू है। इस एक्ट के प्रावधानों के चलते फंड की कमी होने पर संघीय एजेंसियों को अपना कामकाज रोकना पड़ता है। वहीं सरकार फंड के अभाव को पाटने के लिए स्टॉप गैप डील लाती। इसको पहले यहां प्रतिनिधि सभा और फिर सीनेट में पेश किया जाता है। हालांकि दोनों ही सभाओं से इसको पास होना जरूरी है।
बता दें कि अमरीका में ऐसा पहली बार नहीं है, जब यहां की सरकार को शटडाउन की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा हो। ऐसा ही संकट अमरीका में अक्टबूर 2013 में उस समय भी देखने को मिला था, जब बराक ओबामा के राष्ट्रपति थे। उस समय यहां दो हफ्तों तक संघीय एजेंसियों को बंद करना पड़ा था। इस दौरान 8 लाख कर्मचारियों काम छोड़कर बिना वेतन के ही घर बैठना पड़ा था। इसके अलावा 1981, 1984, 1990 और 1995-96 में भी अमरीका में शटडाउन जैसे हालात पैदा हो चुके हैं।