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‘दिल तो पागल है’ के 20 साल: शाह रुख़ हीरो थे, फिर भी इन 5 एक्ट्रेसेज़ ने ठुकरा दी थी फ़िल्म

मुंबई- ‘दिल तो पागल है…’ मोहब्बत में डूबे आशिक़ों की दीवानगी ज़ाहिर करती इस लाइन को 20 साल पहले यश चोपड़ा ने अपनी फ़िल्म का टाइटल बना लिया था और ये टाइटल हिंदी सिनेमा के इतिहास में दर्ज़ हो गया।

‘दिल तो पागल है’ ने 31 अक्टूबर दो दशक का सफ़र पूरा कर लिया है। मगर, ये बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि इस रोमांटिक-डांस फ़िल्म की दूसरी हीरोइन फ़ाइनल करने के लिए यश चोपड़ा को काफ़ी पापड़ बेलने पड़े थे। आपको ये बात थोड़ा अजीब लग सकती है कि यश चोपड़ा जैसा डायरेक्टर हो और शाह रुख़ ख़ान जैसा हीरो, फिर भी कोई एक्ट्रेस फ़िल्म करने को राज़ी ना हों। मगर ऐसा हुआ था और इसकी वजह थीं फ़िल्म की पहली हीरोइन माधुरी दीक्षित। दिल तो पागल है एक प्रेम-त्रिकोणीय कहानी थी, जिसके लिए शाह रुख़ ख़ान और माधुरी दीक्षित का चयन किया जा चुका था और यश जी को तीसरे कोण यानि एक्ट्रेस की तलाश थी। 

चलिए आपको सिलसिलेवार ढंग से बताते हैं कि यश जी ने ‘दिल तो पागल है’ के लिए किस-किस हीरोइन को एप्रोच किया और उन्होंने फ़िल्म करने से क्यों इंकार किया।

जूही चावला: ‘डर’ में यश चोपड़ा के साथ काम करने के बावजूद जूही ने इंकार कर दिया, क्योंकि  जूही उस दौर की टॉप एक्ट्रेस माधुरी के सामने सेकंड लीड रोल नहीं करना चाहती थीं। अपने करियर की पीक पर इन दोनों एक्ट्रेसेज़ ने कभी स्क्रीन स्पेस शेयर नहीं किया। कुछ साल पहले अनुभव सिन्हा की फ़िल्म ‘गुलाब गैंग’ में माधुरी और जूही आमने-सामने आयीं। इस फ़िल्म में जूही ने नेगेटिव किरदार निभाया था।

काजोल: इसके बाद यश चोपड़ा ने काजोल से संपर्क किया। यशराज बैनर के साथ ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जैसी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म देने के बावजूद काजोल ने भी इंकार कर दिया, क्योंकि काजोल को इस रोल में दम नज़र नहीं आया।

रवीना टंडन: काजोल से ना सुनने के बाद यश चोपड़ा ने रवीना टंडन को इस रोल में लेने पर विचार किया, मगर रवीना उस वक़्त फ़िल्मों से संन्यास लेने पर विचार कर रही थीं, क्योंकि वो अक्षय कुमार के साथ रिलेशनशिप में थीं और शादी करने वाली थीं। लिहाज़ा रवीना ने ‘दिल तो पागल है’ से इंकार कर दिया।

उर्मिला मातोंडकर: उर्मिला मातोंडकर को इस फ़िल्म के लिए यश चोपड़ा ने एप्रोच किया, मगर उर्मिला ने एक दिन की शूटिंग करके फ़िल्म छोड़ दी।

करिश्मा कपूर: यश चोपड़ा इस रोल को लेकर सबसे पहले करिश्मा कपूर के ही पास गये थे, उनके इंकार करने के बाद उन्होंने मनीषा कोईराला समेत दूसरी एक्ट्रेसेज़ को एप्रोच किया था, जिनके बारे में आप ऊपर पढ़ चुके हैं। मगर, जब सारी एक्ट्रेसेज़ ये रोल करने को राज़ी नहीं हुईं तो करिश्मा ने फ़ाइनली ये रोल स्वीकार कर लिया। करिश्मा का ये फ़ैसला ग़लत साबित नहीं हुआ। ‘दिल तो पागल है’ के लिए लोलो को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल और फ़िल्मफेयर अवॉर्ड मिला।

‘दिल तो पागल है’ यशराज फ़िल्म्स के बैनर से आयी बेहतरीन रोमांटिक फ़िल्मों की फ़ेहरिस्त में शामिल है। ये फ़िल्म हिंदी सिनेमा की यादगार और इन कलाकारों के करियर की सबसे कामयाब फ़िल्मों में गिनी जाती है। रिलीज़ के बाद ‘दिल तो पागल है’ ने कमाई के नए रिकॉर्ड कायम किये थे। 9 करोड़ के बजट से बनी फ़िल्म 245 स्क्रींस पर रिलीज़ हुई थी और इसने 98 लाख रुपए की ओपनिंग ली थी। फ़िल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफ़िस पर लगभग 35 करोड़ का नेट कलेक्शन किया था और 1997 की दूसरी सबसे कामयाब फ़िल्म थी। जेपी दत्ता की ‘बॉर्डर’ उस साल की सबसे अधिक कमाई करने वाली फ़िल्म बनी, जिसने लगभग 40 करोड़ का कलेक्शन घरेलू बॉक्स ऑफ़िस पर किया था।

ऐसे मिला टाइटल: 

फ़िल्म का टाइटल रखे जाने की कहानी भी मज़ेदार है। यश चोपड़ा ने पहले इसका नाम मैंने तो मोहब्बत कर ली रखा था, जिसे बाद में तेवर  कर दिया, मगर रिलीज़ से पहले शीर्षक ‘दिल तो पागल है’ कर दिया गया। एक दिलचस्प जानकारी ये भी है कि इस फ़िल्म से शाहिद कपूर का फ़िल्मी करियर शुरू हुआ था। फ़िल्म के ‘दिल ले गयी ले गयी’ गाने में वो बैकग्राउंड डांसर थे। अक्षय कुमार ने फ़िल्म में कैमियो किया था। वो माधुरी दीक्षित के मंगेतर के किरदार में नज़र आये थे।

 

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