नई दिल्ली : देश के विधायकों और सासंदों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों का जल्द फैसला करने के लिए मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। केंद्र सरकार ने इन मामलों को निपटाने के लिए एक साल तक 12 स्पेशल कोर्ट चलाने पर सहमति जताई है। इन स्पेशल कोर्ट में करीब 1571 आपराधिक केसों पर सुनवाई होगी। ये केस 2014 तक सभी नेताओं के द्वारा दायर हलफनामे के आधार पर हैं। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दायर अपने हलफनामें में सरकार ने कहा है कि वो इस तरह की अदालतें बनाएगी।
खबरों के अनुसार केंद्र सरकार इन मुकदमों का जल्द फैसला करने के लिए 8 करोड़ रुपए खर्च कर 12 अदालतें बनाएगी। यह सभी अदालतें स्पेशल कोर्ट होंगी जिनमें हजारों मुकदमों की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन केसों का निपटारा एक साल के अंदर किया जाना चाहिए। कानून मंत्री की ओर से दाखिल हलफनामे में इस बात की पुष्टि हुई है।
दरअसल नेतओं पर चल रहे मुकदमों में देरी के चलते यह सभी चुनाव में निर्वाचित होकर सांसद या विधायक बन जाते हैं। इन नेताओं पर यह केस उनके चुनावी हलफनामों के आधार पर दर्ज हुए हैं।
ये थीं रिपोर्ट की मुख्य बातें
जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से 3 सांसद और 48 विधायक हैं।
334 ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था।
हलफनामे के अध्ययन से यह बात सामने आई कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र में हैं, जहां ऐसे लोगों की संख्या 12 थी। दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और ओडिशा हैं।
बता दें कि इससे पहले चुनाव आयोग दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध का समर्थन कर चुका है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 हफ्ते में हलफनामा पेश करने के आदेश दिए थे।