ख़बर देश

ताजमहल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने पर विचार

अगर दिल्ली से आगरा जाएं, तो ताज महल यमुना के दाईं तरफ पड़ता है, दिल्ली से जाने वालों को शहर के बीच से होकर गुजरना पड़ता है, अक्सर मुश्किल हो जाती है कि जाम लगा है। क्या हो अगर ताज महल को उठाकर यमुना के इस पार रख दिया जाए? आप यकीनन कहेंगे कि क्या बेतुकी बात है?

 

किसी सैकड़ों साल पुरानी इतनी बड़ी इमारत को आखिर कैसे उठाकर यमुना के इस पार रखा जाएगा? माना कि तकनीक ने काफी तरक्की कर ली है, इंसान चांद पर पहुंच चुका है और मंगल पर जाने की तैयारी में है, फिर भी ताज महल या ऐसी किसी इमारत को उठाकर दूसरी जगह रखना अब भी कमोबेश नामुमकिन है। पर, हम आपसे कहें कि मिस्र में ऐसा कारनामा किया जा चुका है, तो? नहीं यकीन आया न! यकीन मानिए, मिस्र में आज से आधी सदी पहले ऐसा कारनामा इंसान कर चुका है |

 

जब करीब तीन हजार साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत को उठाकर दूसरी जगह ले जाकर उसी रूप में फिर से स्थापित कर दिया गया। दुनिया के हरेक कोने में तारीख सिमटी है, वक्त के थपेड़ों से ऐसी बहुत सी तारीखी चीजों के नामो-निशां मिट गए, लेकिन अभी भी दुनिया में हजारों ऐसी इमारतें और जगहें हैं, जो इंसानी सभ्यता के विकास के सबूत के तौर पर मौजूद हैं। इन्हें आने वाली नस्लों के लिए संजोने का काम बरसों से चलता आ रहा है.

 

वल्फ बोर्ड ने ताजमहल पर अपना हक़ जताया सुप्रीम कोर्ट ने कहा शाहजहां के हस्ताक्षर लेकर आओ

 

दुनिया में ऐसी बहुत सी ऐतिहासिक धरोहरें हैं जिन्हें अगर समय रहते बचाया नहीं गया होता तो शायद इतिहास का एक कीमती खजाना मिट्टी में मिलकर खत्म हो गया होता। इतिहास का ऐसा ही एक खजाना मिस्र के लोगों ने यूनेस्को के सहयोग से खत्म होने से बचाया है और आज ये यूनेस्को वल्र्ड हेरिटेज साइट यानी विश्व की धरोहरों की फेहरिस्त में शामिल है।

 

 

मिस्र का अबु सिम्बल मंदिर दक्षिणी मिस्र की प्राचीन घाटी नुबियन में पहाड़ काट कर बनाया गया है, मंदिर के अंदर की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है। मंदिर की छत से लेकर फर्श तक उस दौर के राजा फराओ रैमसेस द्वितीय की जंगों में मिली कामयाबियों के किस्से उकेरे गए हैं, दरअसल इस मंदिर का निर्माण इसी राजा ने करवाया था, मंदिर के बाहर भी फराओ के चार विशाल बुत बने हैं जिनका रुख सामने से बह रही नदी की ओर है।

 

इस मंदिर से नजर आने वाला नजारा विलक्षण है, अगर विएना हिस्टोरिक सेंटर, कम्बोडिया के अंकोरवाट या यूनेस्को की दीगर वल्र्ड हेरिटेज साइट की तरह अबु सिम्बल को संजोया नहीं गया होता तो शायद ये अद्भुत मंदिर पास से गुजरने वाली नील नदी से जुड़ी झील में डूब कर खत्म हो चुका होता। काटकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया मंदिर ब्रिटिश जियोग्राफिक एक्स्पेडीशन कंपनी की डायरेक्टर किम कीटिंग का कहना है कि मिस्र ने अपनी ऐतिहासिक धरोहरें बचाने के लिए बहुत काम किया है।

 

अबु सिम्बल का ये मंदिर इसकी सबसे बड़ी मिसाल है, जिसे नील नदी पर बनने वाले अस्वान बांध की वजह से एक जगह से हटाकर दूसरी जगह तामीर किया गया, वो भी जस का तस। उत्तरी अफ्रीका की नुबियन घाटी एक तरफ दक्षिणी मिस्र तो दूसरी तरफ उत्तरी सूडान तक फैली है, दूर-दराज में खजूर के दरख्तों से घिरे नखलिस्तान है, जहां से मौसमी नदियां निकलती हैं, यहीं से होकर बहती है मिस्र का वरदान कही जाने वाली नील नदी, तमाम छोटी नदियां इसी में आकर मिल जाती हैं|

 

इस टीम ने करीब पांच साल तक मशक्कत की, मंदिर के टुकड़े-टुकड़े करके उन्होंने उसे उठाया और उसी पहाड़ी पर करीब 60 मीटर ऊंचाई पर लाकर फिर से जोड़कर उसी तरह का मंदिर तैयार कर दिया, बादशाह रैमसेस के मंदिर को 860 टुकड़ों में काटा गया, वहीं रानी के मंदिर को दो सौ से ज़्यादा टुकड़ों में काटकर दूसरी जगह ले जाया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *