पिज्जा, बर्गर, चाउमिन, नूडल्स, पास्ता, मोमो, ये कुछ नाम ऐसे हैं जो आजकल हर वर्ग के टेस्ट में शामिल है। फिर चाहे बच्चों हों, युवा या फिर बड़े, सब बड़े चाव से इन चीजों को खाते हैं। कहना गलत न होगा कि ये फास्टफूड रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो चुके हैं। इसके साइड इफेक्ट्स आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे, खासकर बच्चों की सेहत पर इसका गलत असर पड़ रहा है। यह हम नहीं बल्कि सीबीएसई और चिकित्सकों की रिपोर्ट कह रही है। इसके दुष्परिणाम को देखते हुए सीबीएसई ने स्कूलों में बच्चों द्वारा फास्टफूड नहीं लाने पर निर्देश जारी कर रखा है। अगर आपका बच्चा अधिक फास्ट फूड खाता है और शारीरिक एक्सरसाइज नहीं करता है तो निश्चित रूप से आपके लिए यह बुरी खबर है। फास्टफूड के अत्यधिक सेवन से बच्चा हाइपरटेंशन, टाइप टू डायबिटीज, क्रोनिक इनफ्लेमेशन, डिस्लिपिडेमिया और हाइपर इंसुलिनेमिया जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। डिस्लिपिडेमिया, ऐसी बीमारी है जो आपके बच्चे की याददाश्त छीन रही है। सीबीएसई के सर्वे यह बात सामने आई है कि बच्चे फास्ट फूड, ईटिंग हैबिट और लो फिजिकल एक्टिविटी की वजह से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त पाए गए हैं। इसीलिए सीबीएसई की ओर से योग अनिवार्य किया गया है, ताकि देश की भावी पीढ़ी में कम से कम बीमारियां हों।
बच्चों को फास्टफूड की लत न लगने दें। बच्चा अगर बहुत जिद करता है तो सात दिन में एक बार या 15 दिन में एक बार फास्ट फूड ही उपलब्ध कराएं। बच्चों की बेहतर स्वास्थ्य के लिए बाजार के पैक्ड फूड न दें। बच्चे को रोजाना डेढ़ से दो घटे आउटडोर एक्टिविटी के लिए समय दें। बच्चों को हेल्दी फूड और उसके फायदे भी बताएं।
स्कूलों में फास्टफूड पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इसकी निगरानी के लिए स्कूलों में कमेटी भी बनाने का निर्देश है। इसमें स्कूलों के प्राचार्य, अभिभावक, कैंटन इनचार्ज, हेड गर्ल-ब्वॉयज शामिल होंगे। अभिभावकों के साथ मीटिंग में विद्यार्थियों के डाइट चार्ट और स्वास्थ्य पर मंथन होगा। स्कूलों स्पोर्ट्स गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। इसमें दौड़, क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबाल, एथलेटिक जैसी गतिविधियों को और प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।