पूर्वी भारतीय राज्य झारखण्ड के मुख्यमंत्री, हेमंत सोरेन, पर आर्थिक अपराध निर्दिष्ट करने वाले संविदानिक तंत्र के आधार पर भ्रष्टाचार की जांच के लिए भारतीय आर्थिक दरों का पालन कर रहे विभाग, यानी ईडी (आर्थिक अपराध निर्दिष्ट करने वाले संविदानिक तंत्र) ने पांचवीं बार समन जारी किया है। यह समन उनके औद्योगिक क्रियाकलापों और भूमि घोटाले से जुड़े आरोपों की जांच के लिए है, जिनका हिस्सा वे हो सकते हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण है कि ईडी ने राजस्व कर्मचारी भानुप्रताप के घर से जमीन के कागजात बरामद किए थे, जिनमें अनय कागजातों पर किए गए बदलावों की संकेत थे। इसके अलावा, रांची रजिस्ट्री आफिस के सर्वे के दौरान भी वे कागजात बरामद किए गए थे, जिनमें उनके नाम के बजाय दूसरे लोगों के नाम थे, और इनमें आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री के लिए भूमि प्राप्ति की आंशिक जानकारी थी।हेमंत सोरेन की ओर से इस जांच प्रक्रिया में कई रुख किए गए हैं, जिससे सिर पर ईडी की पूछताछ का बोझ बढ़ गया है। पहले समन के समय, उन्होंने उद्घाटन के अवसर पर हिस्सा नहीं लिया, और इसे बहाना बनाकर अस्थायी रूप से नजरअंदाज किया। दूसरे समन पर, उन्होंने ED के कर्मचारियों को एक लंबा-चौड़ा पत्र लिखकर राजनीतिक इशारों पर काम करने का आरोप लगाया। तीसरे समन के समय, उन्होंने घोषित किया कि वे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद उन्होंने चौथे समन पर हाई कोर्ट की ओर बढ़ दिया।हालांकि, एक और मुद्दा भी आया है जिसने इस प्रक्रिया को और भी जटिल बना दिया है। कल हाई कोर्ट में जस्टिस के पी देव के निधन के कारण न्यायिक कामकाज में विलंब हुआ, और किसी तरह एक याचिका स्वीकृत कर ली गई, इस दौरान ED ने पांचवा समन जारी कर दिया। इसके बावजूद, यह महत्वपूर्ण है कि ईडी के संविदानिक अधिकार और जांच प्रक्रिया के साथ सम्मानजनक रूप से बरता जाता है।इस संदर्भ में, तीन मुख्य संभावनाएं हैं:**पहली संभावना:** हेमंत सोरेन एक ऐसे राजनेता हैं जो ED के चार-चार समन के बावजूद एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हो रहे हैं, और उन्होंने आर्थिक अपराध निर्दिष्ट करने वाले संविदानिक तंत्र के तहत जांच में सहयोग नहीं किया है। भारतीय आर्थिक दरों के तहत, जांचकर्मियों को अगर साक्षात्कार के लिए सहयोग नहीं मिलता है, तो वे ED द्वारा गिरफ्तार करने की योजना बना सकते हैं।**दूसरी संभावना:** एक और संभावना यह है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, हेमंत सोरेन को ED की पूछताछ में सहयोग करने के लिए आना पड़े। इस तरह के मामलों में, न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से तर्कों का परिष्करण किया जा सकता है, जिससे अन्य निर्दिष्ट करने वाले आरोपियों के लिए भी संगाहक हो सकता है।**तीसरी संभावना:** एक संभावना यह भी है कि ईडी ही अब हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के लिए अदालत में अर्जी दाखिल करे, और वारंट की मांग करे। बहरहाल, हाई कोर्ट के फैसले तक इंतजार करना होगा, और संविदानिक तंत्र के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय किया जा सकता है।इस संदर्भ में, हेमंत सोरेन के खिलाफ चल रहे ईडी के कदम न्यायिक प्रक्रिया के साथ देखे जा रहे हैं, और यह आगे कैसे बढ़ सकता है, यह आगे की जाँच के दौरान स्पष्ट होगा। ऐसे मामलों में समय के साथ ही यह साबित होता है कि न्यायिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं को सावधानी से देखा जाए और सत्य की खोज को पूरा किया जाए।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ईडी के बीच खींचातानी!
