नई दिल्ली- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया है कि अमेरिका में भारत के प्रति सकारात्मक रुख है। साथ ही अमेरिकी निवेशकों को उन सुधारों की समझ है जो सरकार अर्थव्यवस्था के विस्तार और भविष्य की संभावनाओं तो देखते हुए उठा रही है। जानकारी के लिए बता दें कि जेटली अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने क लिए हफ्तेभर के लिए अमेरिका दौरे पर हैं। उनके नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया है।
जेटली न्यूयॉर्क और बोस्टन का दौरा कर चुके हैं, जहां उन्होंने निवेशकों को संबोधित किया और शीर्ष कॉर्पोरेट नेताओं के साथ बैठक भी की है। इसके अलावा उन्होंने कोलंबिया और हार्वर्ड विविद्यालयों के छात्रों के साथ बातचीत की है।
यहां आईएमएफ मुख्यालय में फिक्की फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जेटली ने कहा, अमेरिकी निवेशकों को अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए भारत की ओर से किए जा रहे सुधारों की बहुत अच्छी समझ है। पिछले चार दिनों में निवेशकों को संबोधित करते हुए, उनके साथ मुलाकात करते हुए और उनके सवालों के जवाब देते हुए मैंने पाया है कि भारत के प्रति यहां एक सकारात्मक माहौल है।
जेटली ने रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के दिये संकेत
जेटली ने रियल एस्टेट क्षेत्र को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने के संकेत दिये हैं। जेटली ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में स्पीच देते हुए बताया कि रियल एस्टेट एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर कर चोरी के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। इसलिए इसे जीएसटी के दायरे में लाना का मजबूत आधार है। जीएसटी की अगली बैठक गुवाहाटी में नौ नंवबर को होगी जिसमें इसपर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने भारत में टैक्स रिफॉर्म्स पर वार्षिक महिंद्रा स्पीच में कहा, “रियल्टी सेक्टर जीएसटी के दायरे से बाहर है। जबकि यहां सबसे ज्यादा कर चोरी और नकदी सृजित होती है। कुछ राज्य इस बात पर जोर दे रहे हैं। लेकिन मेरा व्यक्तिगत तौर पर ऐसा मानना है कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के का मजबूत आधार है।”