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जय माता दी’ की जयकार से गूंजा शहर

सीतामढ़ी/ संवाददाता।
नवरात्र को लेकर अब तक आस्था का जो जनसैलाब मंदिर व पूजा पंडालों तक सिमित था, वही मंगलवार को आस्था का प्रवाह बन कर सड़क पर निकल आया। जय माता दी के जयघोष, ढोल-बाजों की धुन, परंपरागत परिधान में सिर पर कलश व हाथ में रंग-बिरंगे पताका लिए कन्याओं द्वारा मां की डोला के साथ निकली कलश शोभा यात्रा से इलाका आस्था की चादरों में लिपटा नजर आया। चारों ओर श्रद्धा व भक्ति से लोग भाव विभोर हो रहे थे। जिला मुख्यालय डुमरा का कोना-कोना भक्ति रस में डूबा नजर आया। बेल पूजन को निकली विशाल कलश शोभा यात्रा से शहर की रफ्तार थम गई। जय माता दी के जयघोष के साथ मां दुर्गा की झांकी, हाथों में परंपरागत शस्त्र, ढोल-ताशा व वाद्य यंत्रों की धुन के साथ लाल, पीले परिधान में सजी सैकड़ों कन्याओं द्वारा विशाल कलश शोभा यात्रा निकाली गई। बेल पूजन के अवसर पर निकली शोभा यात्रा में शामिल लोग पूरी तरह भक्ति में डूबे रहे।

एक ओर जहां मां की जयकार हो रहीं थी, वहीं दूसरी ओर लोग परंपरागत शस्त्र प्रदर्शन कर रहे थे। लोगों की भीड़ से दोपहर बाद से लेकर शाम तक एनएच 77 व 104 समेत प्रमुख पथों पर आवागमन ठप रहा। बेल पूजन को रही प्रशासनिक चौकसी बेल पूजन को लेकर निकली कलश शोभा यात्रा में विधि व्यवस्था के लिए प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए थे। प्रत्येक पूजा समिति की शोभा यात्रा का रूट व समय जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित था। शोभा यात्रा के साथ दंडाधिकारी के नेतृत्व में सशस्त्र बल जगह-जगह तैनात रहे। शोभा यात्रा के दौरान सड़क पर वाहनों का परिचालन कुछ समय तक पूरी तरह रोक दिया गया।

हुई मां कात्यायनी की पूजा कात्यायन ऋषि के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण ही देवी के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी ने ही महिषासुर का संहार किया था। आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को जन्मी मां कात्यायनी ने आश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्ठमी व नवमी को कात्यायन ऋषि की पूजा स्वीकार की थी। यहीं वजह है कि एक दिन पूर्व षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। मां दुर्गा के नौ रूपों में मां कात्यायनी का स्वरूप मनोहारी है। लिहाजा वह अपने भक्तों के तमाम दुख-दर्द का हरण करती हैं। आज खुलेंगे मां के पट कही मां काली तो कहीं मां दुर्गा। कहीं शेरावाली तो कहीं बाघ बाली मइया। शक्ति के विभिन्न रूपों का दर्शन भक्तों को बस होने ही वाला है। पट खुलना बाकी है। बुधवार को पट खुलते ही भक्तों के सात दिनों की इंतजार खत्म होगी, और बेसब्री से इंतजार कर रहे भक्त मां की दर्शन करेंगे। बलि व तंत्र साधना आज नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना का विधान है। बुधवार को भक्त जहां अपनी मन्नत उतारेंगे, वहीं साधक तंत्र साधना में लीन हो जायेंगे। वहीं बलि दी जायेगी और महारानी मईया के खोइछा भी भरे जाएंगे। ग्रामीण इलाकों में टेका लगेगा और तांत्रिक करेंगे भूत पिशाच के प्रकोप का इलाज।

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