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चीन यहाँ बनाने वाला है दूसरा विदेशी मिलिटरी बेस, ये देश कर रहा है मदद

पेइचिंग : अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पाकिस्तान के खिलाफ खुले तौर पर नाराजगी जाहिर करने के बाद पेइचिंग और इस्लामाबाद में आर्थिक और रक्षा समझौते बढ़ सकते हैं। चीन की अधिकारिक मीडिया की मानें तो चीन ईरान के चाबहार पोर्ट के पास पाकिस्तानी मिलिटरी बेस का अधिग्रहण कर रहा है। हालांकि पाकिस्तान की तरफ से इस तरह की खबरों को पूरी तरह खारिज किया जा चुका है कि बलूचिस्तान प्रांत में सामरिक महत्व के ग्वादर बंदरगाह के पास चीन एक सैन्य अड्डा बनाने जा रहा है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने 1 जनवरी को ट्वीट कर पाकिस्तान पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के आरोप के बाद पाकिस्तान और चीन के बीच संबंधों में और मजबूती आई है। यह बात चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कही है। खबर में कहा गया है कि इस्लामाबाद ने द्विपक्षीय व्यापार में चीन की करंसी को मान्यता दे दी है।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में वॉशिंगटन टाइम्स की एक खबर का हावाला देते हुए कहा गया है कि चीन पाकिस्तान में अपना दूसरे विदेशी मिलिटरी बेस बनाने की तैयारी कर रहा है। इस मिलिटरी बेस के जरिए चीन रणनीतिक समुद्री रास्तों पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह जगह ईरान के चाबहार पोर्ट के पास है। बलूचिस्तान के ग्वादर से यह जगह बेहद नजदीक है। चाबहार भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इसका मकसद अफगानिस्तान और भारत के बीच सीधा व्यापार करना है।

चीन के मिलिटरी बेस बनाने की खबरों पर साउथ एशिया स्टडीज एक्सपर्ट्स का कहना है, ‘पाकिस्तान और चीन में संयुक्त रूप से नैसेना और वायुसेना का बेस तैयार करने की क्षमता है। लेकिन इस समय यह व्यर्थ है।’ चीन ने अपना पहला विदेशी मिलिटरी बेस डिजबाउटी में बनाया है। यह जगह अफ्रीका में हिंद महासागर में है। इसके अलावा चीन ने 99 साल के लिए श्रीलंका के हंबानटोटा पोर्ट को भी लीज पर लिया है।

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