गिरिडीह सदर अस्पताल गर्भवती महिलाओं के लिए काल बन गया है। चिकित्सकों की लापरवाही इसकी बड़ी वजह है। एक महीने में तीन प्रसूताओं की यहां मौत हो चुकी है। इसी कड़ी में रविवार को लापरवाही की भेंट चढ़ी कोल्डीहा निवासी मोहम्मद सलीम की पत्नी 30 वर्षीय शाहिदा खातून। गर्भवती महिला यहां इलाज के लिए आई थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि यहां उसे इलाज नहीं मौत मिलेगी। प्रसूता के साथ-साथ उस बच्चे ने भी दम तोड़ दिया, जो अभी दुनिया में आने की तैयारी ही कर रहा था
मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन नहीं चेता और शव को बिना पोस्टमार्टम के घर भेज दिया। मामले की जांच के बाद प्रशिक्षु आइएएस प्रेरणा दीक्षित ने कहा कि सूचना मिलने के काफी देर बाद तक डॉक्टर नहीं पहुंची। मामला स्पष्ट रूप से लापरवाही का है। डाक्टर के समय पर नहीं आने के कारण प्रसूता की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि वह अपने स्तर से डॉक्टर के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की अनुशंसा करेंगी। एसडीओ ने भी प्रारंभिक तौर पर इस मामले में चिकित्सक की लापरवाही स्वीकार की है।
शाहिदा के पति सलीम ने बताया कि प्रसव पीड़ा के बाद वह सुबह 9.10 बजे अपनी पत्नी को लेकर सदर अस्पताल आया। यहां वरीय एएनएम आशा देवी ने उससे कहा कि पहले रिस्क बांड भरकर दे, तभी प्रसूता को भर्ती कराकर उसका प्रसव कराया जाएगा। इसी बीच, उसे उल्टी होने लगी। इस समय अस्पताल में कोई चिकित्सक नहीं था। काफी आग्रह के बाद एएनएम ने महिला डॉक्टर को फोन पर इसकी सूचना दी। फोन पर ही उसे कहा गया कि अभी उसे उल्टी रोकने के लिए एसीलॉक का इंजेक्शन दे दो। जब सलीम ने देखा कि उसकी पत्नी को देखने के लिए कोई चिकित्सक नहीं आ रही है, तो वह उसे निजी र्निसंग होम ले गया, लेकिन वहां कह दिया गया कि वह मर चुकी है, इसलिए उसे वापस ले जाओ। इसके बाद वह फिर सदर अस्पताल आया तो डाक्टर ने जांच करने के बाद कहा कि वह मर चुकी है। सलीम ने कहा कि जिस वक्त वह पत्नी को लेकर आया था, अगर किसी चिकित्सक ने उसे देखा होता तो पत्नी के साथ उसके बच्चे की भी मौत नहीं होती।
मौत की सूचना के बाद मामले की जांच को प्रशिक्षु आइएएस प्रेरणा दीक्षित अस्पताल पहुंचीं। उपाधीक्षक डॉ. बीएन झा से घटना को लेकर बंद कमरे में उन्होंने पूछताछ की। उपाधीक्षक ने बताया कि ड्यूटी पर डॉ. सर्जना शर्मा को लगाया गया था, इसलिए उन्हें समय पर आना चाहिए था। एसडीओ विजया जाधव भी वहां पहुंचीं और बारी-बारी से संबंधित कर्मियों से पूछताछ की। इस दौरान एसडीओ ने चिकित्सकों को जमकर फटकारा।
शाहिदा सुबह 9.10 बजे अस्पताल लाई गई। इसके तुरंत बाद ड्यूटी पर तैनात वरीय एएनएम आशा देवी ने इसकी सूचना डॉ. सर्जना शर्मा को मोबाइल पर दी। डा. शर्मा ने मरीज को एक इंजेक्शन लगाने को कहा। खुद वह 11 बजकर 45 मिनट पर अस्पताल पहुंचीं।
एसडीओ जाधव ने कहा कि डॉक्टर ने बगैर जांच किए प्रसूता को इंजेक्शन दिलवा दिया। पूछताछ में वह कहती हैं कि ऑन कॉल ड्यूटी पर थीं। अगर उनकी बात मान भी ली जाए तो नर्स द्वारा कॉल करने के बाद भी क्यों नहीं समय पर अस्पताल आईं। उन्होंने कहा कि डॉ. सर्जना की लापरवाही के कारण ही मरीज की मौत हुई है। मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
डॉ. सर्जना शर्मा ने कहा कि वह पिछले 48 घंटे से ऑन कॉल ड्यूटी कर रही थीं। शाहिदा के बारे में जब सूचना दी गई तो मरीज की स्थिति की जानकारी लेने के बाद तत्काल उसे एक इंजेक्शन देने को कहकर अस्पताल आ ही रही थीं कि नर्स ने बताया कि मरीज का परिजन उसे लेकर कहीं चले गए हैं। जब यह सूचना मिली तो अन्य मरीजों के बारे में पूछा। सबकुछ नॉर्मल बताने पर अस्पताल आने में देर की। कहा कि पूरी तन्यमता के साथ काम कर रही हूं, इसके बाद भी लापरवाही का आरोप लग रहा है। डॉक्टर ने कहा कि उनकी तबीयत भी ठीक नहीं है, इसके बाद भी वह ड्यूटी कर रही हैं। इस तरह के माहौल में काम कर पाना संभव नहीं है।
शाहिदा खातून को जब मेरे पास लाया गया, तब वह मर चुकी थी। उसके पेट में फुल टर्म बेबी था। इसके पूर्व मैंने उसकी जांच नहीं की थी, इसलिए मरने का कारण नहीं बताया जा सकता है।