असम के सरकारी कर्मचारियों पर 2 अक्टूबर से नया कानून लागू होगा। अगर वे अपने माता-पिता और दिव्यांग भाई-बहन का ध्यान नहीं रखते तो उनके वेतन में 10% काट लिया जयेगा । यह रकम माता-पिता या दिव्यांग भाई-बहनों के बैंक खाते में जमा की जाएगी। असम सरकार ने 2017 में विधानसभा में अभिभावक जिम्मेदारी और जवाबदेही तथा निगरानी नियम (प्रणाम) विधेयक का पेश किया था। इसे अब मंजूरी मिल गई है। असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि यह नियम लागू करने वाला असम देश का पहला राज्य है।
वित्त मंत्री ने कहा, सरकार जल्द ही प्रणाम आयोग बनाएगी, जिसकी निगरानी के लिए अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। उन्होंने बताया, इसे लागू करने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारी अपने आश्रितों की देखभाल ठीक से करें। सरमा ने बताया, अगर आश्रितों को घर में उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है तो वे इसकी शिकायत प्रणाम आयोग से कर सकते हैं। सरकार की योजना है, इस नियम को प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों पर भी लागू किया जाए।
सरकार के इस फैसले से बुजुर्ग काफी खुश हैं। अपने बेटे की उपेक्षा से परेशान सुजीत ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बेटा शहर में नौकरी करता है, लेकिन गुजारे के लिए पैसे नहीं भेजता। उन्होंने उम्मीद जताई कि नए नियम के डर से शायद वह उनकी देखभाल करने लगे। हालांकि, सरकारी कर्मचारी इस कानून को अपने निजी जीवन में सरकार का हस्तक्षेप मान रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इसे असमिया समाज का अपमान करार दिया।