नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री आरुषि-हेमराज हत्याकांड के चलते जेल में बंद आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार को रिहा कर दिया है। नोएडा के चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में फंसे आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार को हाईकोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए अपना यह फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट का कहना है कि निचली अदालत का फैसला ठोस सबूतों पर नहीं बल्कि हालात से उपजे सबूतों के आधार पर था। इस फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार गाजियाबाद की डासना जेल से रिहा हो जाएंगे।
साल 2008 में नोएडा में रहने वाली 14 साल की आरुषि तलवार की उसके बेडरूम में गला काटकर हत्या कर दी गई। साथ ही उनके घर का नौकर हेमराज का शव भी घर की छत पर मिला था। देश के इस सबसे चर्चित हत्याकांड ने बॉलीवुड का भी अपनी तरफ ध्यान खींचा था और 2008 की इस मर्डर मिस्ट्री पर अपनी राय रखती कुछ फिल्में भी बन चुकी हैं।
आरुषि और हेमराज हत्याकांड पर बॉलीवुड में 2 बड़ी फिल्में बनीं। तीसरी को बनाने की पेशकश तो हुई, लेकिन वो बन नहीं पाई। इन फिल्मों के निर्देशकों ने इस घटना के तथ्यों को अपनी-अपनी तरह से दिखाया। इस घटना पर बनी पहली फिल्म थी मनीष गुप्ता के निर्देशन में बनी फिल्म ‘रहस्य’। इस फिल्म की कहानी 18 साल की आयशा महाजन की कहानी थी। अपने पापा की दुलारी आएशा एक दिन अचानक अपने बेडरूम में मृत हालत में मिलती है। CBI ऑफिसर की भूमिका में केके मेनन इस केस की तहकीकात करते हैं और एक के बाद एक कई रहस्यों से पर्दा उठाते जाते हैं। इस फिल्म में आयशा (आरुषि) की भूमिका में साक्षी सेम थीं और उनके पेरेंट्स के किरदार में आशीष विद्यार्थी और टिस्का चोपड़ा नजर आए थे।
इस हत्याकांड पर दूसरी फिल्म बनायी थी लेखक गुलजार की बेटी और निर्देशक मेघना गुलजार की ‘तलवार’। आरुषि-हेमराज डबल मर्डर केस पर बनी यह कहानी विशाल भारद्वाज ने लिखी। इस फिल्म में इरफान खान और कोंकणा सेन जैसे दिग्गज कलाकार नजर आए और फिल्म में पुलिस की नाकामयाबी को खुलकर दिखाया गया था। इस फिल्म में श्रुति टंडन नाम की एक 14 साल की लड़की का खून हो जाता है। उसके पिता की भूमिका में नीरज कबी और मां की भूमिका में कोंकणा सेन शर्मा आरोपी ठहराए जाते हैं। इरफान इस फिल्म में एक इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर बने नजर आते हैं।
बता दें कि 25 नवंबर, 2013 को गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने हालात से जुड़े सबूतों के आधार पर दोनों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी, जिसके खिलाफ जनवरी 2014 में दोनों ने इलाहाबाद हाइकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था।