खामोश बहियार से उठती देहाती गीत, आदमी से रौनक बना बहियार। शनिवार की रात और रविवार की बारिश के बाद यह नजारा दिख रहा है। कहीं बैल से खेत जुत रहे हैं तो कहीं ट्रैक्टर से, कहीं रोपनी हो रही है तो कहीं मौरी उखाड़ा जा रहा है। दूर-दूर तक सिर्फ किसान और उनकी किसानी। वर्षा ने गांव को जीवंत कर दिया है। सावन माह ने किसानों के जीवन में सावन भर दिया है। दरअसल अगस्त के प्रारंभ में पानी नहीं पड़ने से किसानों के समक्ष रोपनी की समस्या उत्पन्न होने लगी थी। लेकिन दो दिन से हो रही बारिश से खेतों में रोपनी के लायक पानी हो गया। कृषि विभाग के अनुसार अगस्त में सामान्य औसत वर्षापात 272. 80 में अब तक 15.69 फीसद बारिश हुई है और सप्ताह भर बारिश का पूर्वानुमान है। जमुई में 69, खैरा में 126.50, लक्ष्मीपुर में 29.60, सिकंदरा में 53.60, सोनो में 21.40, बरहट में 14.80, गिद्धौर में 41.20, झाझा में 23, चकाई में 31 तथा अलीगंज में 18 एमएम बारिश दर्ज की गई। किसानों ने बताया कि बारिश ने रोपनी की समस्या को निदान कर दिया।
कृषि विभाग के अनुसार 6300 हेक्टेयर में धान के बिचड़ा के आच्छादन लक्ष्य के विरुद्ध 97.57 फीसद लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। अब तक 6147 हेक्टेयर कृषि योग्य जमीन धान के बिचड़े से आच्छादित हो चुकी है। हालांकि अब तक 63 हजार हेक्टेयर में धान की खेती के लक्ष्य के विरुद्ध 21.06 फीसद रोपनी हुई है। अब तक 13267 हेक्टेयर में धान का आच्छादन हुआ है। यहां बता दें कि कृषि विभाग के अलावा भी किसान खुद की किसानी करते हैं।