कारोबार

क्रेडिट कार्ड बिल के लेट पेमेंट पर 18% जीएसटी लगेगा, चेक बुक जारी करने और एटीएम के इस्तेमाल पर कोई टैक्स नहीं

क्रेडिट कार्ड बिल के बकाया भुगतान पर लगे विलंब शुल्क समेत अनिवासी भारतीयों द्वारा बीमा की खरीद पर भी जीएसटी लागू होगा।
  • बैंक मिनिमम बैलेंस रखने पर ग्राहकों को कुछ सुविधाएं मुफ्त देते हैं
  • इसमें महीने में 3-5 बार एटीएम से पैसे निकालना, डेबिट कार्ड जारी करना और सीमित संख्या में चेक बुक देना है शामिल

नई दिल्ली. सरकार ने कहा है कि क्रेडिट कार्ड बिल के लेट पेमेंट पर 18% जीएसटी लागू होगा। चेक बुक जारी करने और एटीएम से पैसे निकालने जैसी बैंकों की मुफ्त सेवाओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बैंकिंग, बीमा और स्टॉक ब्रोकिंग पर जारी किए एफएक्यू (फ्रीक्वेंटली आंसर्ड क्वेश्चन) में ये साफ किया गया है। इसके मुताबिक सिक्युरिटाइजेशन और डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। इस स्पष्टीकरण के बाद बैंकों की मुफ्त सेवाओं पर टैक्स का विवाद सुलझ गया है।

 

वित्तीय सेवा विभाग ने टैक्स न लगाने का आग्रह किया था

 

– पिछले महीने जीएसटी महानिदेशालय की तरफ से एक्सिस बैंक, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक समेत कई बड़े बैंकों को मुफ्त सेवाओं पर टैक्स चुकाने का नोटिस दिया गया था। बैंकों को 2012-17 की अवधि के लिए टैक्स देने को कहा गया था।

 

– इसके बाद वित्तीय सेवा विभाग ने राजस्व विभाग से इन सेवाओं (चेक बुक और एटीएम) पर स्थिति स्पष्ट करते हुए टैक्स न लगाने का आग्रह किया था। बैंकिंग सेवाएं वित्तीय सेवा विभाग और जीएसटी राजस्व विभाग के अधीन आते हैं। दोनों विभाग वित्त मंत्रालय के अंतर्गत हैं।

 

ग्राहकों से बैक डेट से टैक्स वसूली में बैंकों को थी परेशानी

 

बैंक मिनिमम बैलेंस रखने पर ग्राहकों को कुछ सुविधाएं मुफ्त देते हैं। इसमें महीने में तीन से पांच बार एटीएम से पैसे निकालना, डेबिट कार्ड जारी करना, सीमित संख्या में चेक बुक देना भी शामिल हैं। बैंकों की समस्या थी कि वे ग्राहकों से बैक डेट से टैक्स नहीं वसूल सकते। हालांकि, इसके लागू होने पर टैक्स का बोझ ग्राहकों पर ही आता।

 

बैंकों का तर्क- मुफ्त सेवाएं व्यावसायिक गतिविधि नहीं

 

– वित्तीय सेवा विभाग का तर्क था कि मुफ्त सेवाओं को व्यावसायिक गतिविधि नहीं कह सकते। इसलिए इस पर जीएसटी भी नहीं लगाया जा सकता। बैंकों की तरफ से भारतीय बैंक एसोसिएशन ने भी टैक्स अधिकारियों के सामने यही दलील रखी थी।

 

– टैक्स अधिकारियों का तर्क है कि बैंक कोई भी सेवा मुफ्त में नहीं दे रहे। इसके बदले वे ग्राहकों से मिनिमम अकाउंट बैलेंस रखने को कहते हैं। ऐसा नहीं करने पर कस्टमर से जुर्माना लिया जाता है। ‘डीम्ड सर्विस’ होने के कारण यह टैक्सेबल है।

 

ई-कॉमर्स छूट पर टैक्स का आदेश भी हो चुका है खारिज

 

– इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने ई-कॉमर्स कंपनियों के डिस्काउंट पर टैक्स लगाने का आयकर विभाग का आदेश खारिज किया था। विभाग ने डिस्काउंट को कैपिटल एक्सपेंडीचर मानकर फ्लिपकार्ट को 2015-16 के लिए 110 करोड़ का टैक्स नोटिस भेजा था।

 

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