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केरल सरकार ने एक रुपये की कटौती कर भाजपा शासित राज्यों की बढ़ाई चुनौती

वैसे केरल में हुई कटौती के बाद राज्य सरकारों पर तो तत्काल दबाव बढ़ गया है। ध्यान रहे कि सबसे ज्यादा टैक्स महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात तमिलनाडु जैसे राज्यों में है।

 

नई दिल्ली। सोलह दिनों तक पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद 17वें दिन तेल कंपनियों ने जनता को ‘राहत’ देने के नाम पर मजाक किया है। बुधवार को सुबह में सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से बताया गया है कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में 60 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई है। इसके पहले कि ग्राहक इस कटौती का अहसास कर पाते तेल कंपनियों ने सभी पेट्रोल पंपों और मीडिया को एक दूसरी सूचना भेजी कि असलियत में कटौती सिर्फ एक पैसे प्रति लीटर की हुई है। तेल कंपनियों का कहना है कि कीमत गणना करने वाले एक स्टाफ की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई। वैसे कंपनियों की ओर से इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि यह कमी किस आधार पर की गई।

 

उधर, केरल सरकार ने एक रुपये की राहत देकर भाजपा शासित राज्यों और केंद्र के लिए भी सियासी चुनौती बढ़ा दी है। दरअसल, यह माना जा रहा था और खुद सरकार की ओर से भी संकेत था कि जल्द ही राहत की कोई घोषणा हो सकती है। लेकिन अब माना जा रहा है कि सरकार का आकलन है कि अगले कुछ दिनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में अपने आप ही कुछ गिरावट आएगी जिससे खुदरा कीमतें भी कम होंगी। एक कारण राजनीतिक भी माना जा रहा है। सरकार के लिए राजस्व मजबूत रखना जरूरी है। बताते चलें कि पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में एक रुपये की कटौती करने पर केंद्र सरकार के राजस्व में 13 हजार करोड़ रुपये सालाना की कमी होती है।

 

वैसे केरल में हुई कटौती के बाद राज्य सरकारों पर तो तत्काल दबाव बढ़ गया है। ध्यान रहे कि सबसे ज्यादा टैक्स महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात तमिलनाडु जैसे राज्यों में है। इसमें अधिकतर भाजपा शासित है। वैसे पिछले दिनों में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बाबत आग्रह किया था, लेकिन राज्य चुप्पी साधे बैठे हैं।

 

बहरहाल, एक पैसे प्रति लीटर की कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 78.42 रुपये और डीजल की कीमत 69.30 रुपये है। तेल कंपनियों ने इस कीमत को तय करने के लिए 15 से 29 मई, 2018 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल व डीजल की औसत कीमत को आधार बनाया है। गुरुवार (31 मई, 2018) की कीमत तय करने के लिए 16-30 मई की कीमत को आधार बनाया जाएगा। इसके अलावा डॉलर के सापेक्ष रुपये की कीमत का असर भी घरेलू कीमतों पर होता है।

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