2013 में केदारनाथ में आई भीषण आपदा में मृत घोषित किए जा चुके कोलकाता के एक दंपती के जीवित होने का मामला सामने आया है। इनका नाम मोहन जिंदल और मीना जिंदल है। आपदा में मृत घोषित के बाद उत्तराखंड सरकार ने मुआवजा राशि उनके बेटे मनीष जिंदल के हवाले कर दी थी, लेकिन घटना के पांच वर्षों बाद पति-पत्नी कोलकाता में जीवित मिले हैं।
बताया जाता है कि 2013 में इनकी मौत का दावा करते हुए बेटे ने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार व श्राद्ध भी कर दिया था। अपने भाई अरविंद जिंदल से हुए विवाद के बाद इनके जीवित होने का प्रमाण मिला है। कोलकाता के 53 नंबर डॉक्टर लाल मोहन भट्टाचार्य रोड के रहने वाले अरविंद ने इसको लेकर शिकायत दर्ज कराई है। इसके बाद उत्तराखंड के वित्त सचिव अमित नेगी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मलय कुमार डे को पत्र लिखकर मामले की जांच का आग्रह किया है।
इधर, राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड के वित्त सचिव का पत्र मिलने के बाद कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि दंपती के जीवित होने के कई साक्ष्य मिले हैं। पति-पत्नी न केवल जिंदा हैं बल्कि कोलकाता में कई कंपनियों के निदेशक भी हैं और 2013 के बाद लगातार अपने बैंक खातों में लेनदेन करते रहे हैं। इनकी कंपनियों में किए गए कई हस्ताक्षर के बाद ही इनके जीवित होने के प्रमाण मिले हैं।
वहीं, कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संपत्ति को लेकर हुए विवाद के बाद भाई अरविंद जिंदल ने इनके जीवित होने संबंधी जानकारी उत्तराखंड पुलिस को दी। इसके बाद रुद्रप्रयाग जिले के एसपी ने जब जांच शुरू की तो पता चला कि दोनों के लिए 2013 में आई आपदा में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया था। मौत के बाद इनके बेटे को उत्तराखंड सरकार ने 10 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी थी, लेकिन 2014 के बाद से एक बार फिर ये लगातार सक्रिय हो गए और अपनी कंपनी के लिए कई हस्ताक्षर किए। इस घटना के सामने आने के बाद कोलकाता पुलिस दंपती को गिरफ्तार करने की भी तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है कि कोलकाता के बड़ाबाजार में इनका कारोबार है। वहीं, जीवित होने का पर्दाफाश होने के बाद से दंपती फरार हो गए हैं।