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कुछ देर के लिए हक्के बक्के रह गये जब चिता पर रखी लाश की होंठ हिलने लगी।

कुछ देर के लिए हक्के बक्के रह गये जब चिता पर रखी लाश की होंठ हिलने लगी।

स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में गुरुवार को कुछ देर के लिए हक्के बक्के रह गये जब चिता पर रखी लाश की होंठ हिलने लगी। इसके बाद वहां अटकलों का दौर शुरू हो गया। अंतिम यात्रा में शामिल कई लोगों ने कहा कि महिला कुछ बुदबुदा रहीं हैं, हाथ में भी स्पंदन हो रहा है। इतने में कुछ लोगों ने शव के ऊपर रखी लकड़ियों को हटाया और चिता से उतरा गया। परिजन उसे लेकर टीएमएच पहुंचे, लेकिन वहां जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे मृत ही बताया।

69 वर्षीय लक्ष्मी सिन्हा की गुरुवार सुबह ही टाटा मोटर्स अस्पताल में मौत हुई थी। अस्पताल से उनके पार्थिव शरीर को बारीडीह विजया गार्डेन स्थित निवास स्थान ले जाया गया। उनके पति सचिदानंद सिन्हा की उपस्थित में अर्थी उठी और शाम में स्वर्णरेखा बर्निग घाट लाया गया था।

श्मशान में कार्यरत सागर ने बताया कि शव के पेट में लकड़ी रखने पर यदि उसमें गैस या हवा होती है तो उसमें शव के मुंह से कभी पानी या फिर होंठ हीलने लगते हैं। नाक और मंह से अक्सर उसने बुलबुला निकलते हुए देखा है। जिससे लोग भ्रम में आ जाते हैं।

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