नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के खेमे में गुजरात और हिमाचल के मुख्यमंत्री के लिए मंथन जारी है। दोनों राज्यों में शुक्रवार को विधायक दल की बैठक है, जिसके बाद मुख्यमंत्रियों के नाम पर मुहर लग जाएगी। कांटे की टक्कर में बीजेपी गुजरात फतह करने में तो कामयाब रही लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर मंथन जारी है। आज गांधीनगर में जीतकर आए बीजेपी के विधायकों की बैठक होगी, जिसमें तय होगा कि किसके सिर ताज सजेगा।
आज की बैठक में बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षक अरुण जेटली, सरोज पांडे, भूपेंद्र यादव और वी. सतीश भी हिस्सा लेंगे। दोपहर साढ़े तीन बजे गांधीनगर के गुजरात बीजेपी मुख्यालय में विधायक दल की बैठक होगी। दिल्ली से अहमदाबाद रवानगी से पहले अरुण जेटली गुजरात के नए मुख्यमंत्री को लेकर प्रधानमंत्री से मंथन भी करेंगे।
गुजरात में मुख्यमंत्री रूपाणी दौड़ में सबसे आगे हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया से टक्कर मिल रही है। वहीं हिमाचल में तस्वीर थोड़ी साफ होती जा रही है। सूत्रों के मुताबिक जयराम ठाकुर को अब धूमल का भी आशीर्वाद मिल गया।
गुजरात के मुख्यमंत्री की रेस में फिलहाल मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री रह चुके नितिन पटेल, मनसुख मांडविया और पुरूषोत्तम रूपाला शामिल हैं।
हालांकि इनमें विजय रूपाणी और मनसुख मांडविया की दावेदारी सबसे तगड़ी बताई जा रही है। 45 साल के केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य मनसुख मांडविया लेउआ पटेल समुदाय से आते हैं। बीजेपी नाराज पाटीदारों को पटाने के लिए मनसुख दांव खेल सकती है।
साइकिल पर संसद आने वाले मनसुख मांडविया काफी सादगी वाले नेता माने जाते हैं। पटेलों और किसानों में भी उनकी अच्छी खासी पकड़ है। मांडविया विवादों से कोसों दूर रहने वाले नेता है, उनकी छवि भी अच्छी है और संघ के साथ-साथ मोदी और शाह के भी करीबी बताए जाते हैं।
विजय रूपाणी के पक्ष में ये बातें आती है कि बीजेपी ने उन्हें ही चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा और पार्टी मौजूदा हालात में 2019 से पहले गुजरात में चुनाव मैदान में उतरना नहीं चाहती। ऐसे में पार्टी नए विधायकों में से ही मुख्यमंत्री चुनना चाहती है और इस लिहाज से रूपाणी और नितिन पटेल की टीम फिट बैठती है।