नई दिल्ली- देश की दिग्गज दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल ने कारोबारी सुगमता को सबसे बड़ी चिंता बताया है। उन्होंने सरकार से इस दिशा में कदम उठाने की अपील की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुए एक कार्यक्रम में मित्तल ने यह बात कही। विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता को लेकर तैयार रैंकिंग में भारत को 190 देशों में 130वें स्थान पर रखा गया है।
मित्तल ने कहा, ‘कारोबारी सुगमता बड़ी चिंता बनी हुई है। मैं जानता हूं कि यह सरकार की प्राथमिकता में है। प्रधानमंत्री इस मामले में हमारी रैंकिंग को ऊपर ले जाना चाहते हैं। सरकार इस दिशा में शानदार नीतियां लाई है।’ कारोबार में आसानी को लेकर मित्तल ने अपना अनुभव भी बताया। उन्होंने कहा कि घाना में एक विलय सौदे की उन्हें मात्र तीन दिन में मंजूरी मिल गई, जबकि होल्डिंग कंपनियां नीदरलैंड की थीं। ऐसी ही स्थिति में भारत में मंजूरी लेने में बहुत लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता।
मित्तल ने कहा, ‘हम तीन दिन में नहीं कर सकते। लेकिन 30 दिन या 60 दिन में तो हो सकता है ना? सच में हमें ऐसे किसी फ्रेमवर्क की जरूरत है।’ मित्तल के मुताबिक भारत में किसी पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी का उसकी प्रमोटर फर्म में विलय करने के लिए आवश्यक मंजूरी लेने में भी पांच महीने तक का वक्त लग जाता है। उन्होंने विलय एवं अधिग्रहण के लिए अलग से बने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) को भी अपर्याप्त बताया।
इस मामले में समाधान सुझाते हुए एयरटेल के मुखिया ने कहा कि एक मंत्रिस्तरीय समिति होनी चाहिए, जो उद्योग जगत के सुझावों पर ध्यान दे और उन्हें अमल में लाए। उन्होंने अपील की कि सरकार एक ऐसी समिति बनाए जिसके समक्ष उद्यमी बदलावों को लेकर अपना पक्ष रख सकें। फिर केंद्र चाहे तो उन्हें स्वीकार कर ले या अस्वीकार कर दे। उसके बाद सरकार यथाशीघ्र कदम उठाए।
मित्तल ने बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की सरकार की योजना की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे बैंकों को राहत मिलेगी। चालू वित्त वर्ष में निवेश दो गुना करने का हवाला देते हुए सुनील ने संकेत दिया कि अगले तीन साल में कंपनी 75 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी।