नई दिल्ली : अगर आप कोई सामान खरीदते हैं और दुकानदार आप से एमआरपी से ज्यादा रुपया जीएसटी के नाम पर लेता है तो यह खबर आपको जरुर पढ़ना चाहिए।
एमआरपी का मतलब अधिकतम खुदरा मूल्य (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) होता है, इस कीमत में सभी तरह के टैक्स आदि शामिल होते हैं। किसी भी प्रोडक्ट की एमआरपी सभी तरह के टैक्स को सम्मिलित करके ही तय की जाती है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि यदि कोई भी दुकानदार या सेवाप्रदाता आपसे एमआरपी के ऊपर जीएसटी चार्ज करता है तो यह गलत है। एमआरपी के ऊपर चार्ज की गई टैक्स राशि दुकानदार की जेब में जा रही है।
आप अपने सामान में लगने वाले जीएसटी के बाद के मूल्य को इस तरह जान सकते हैं –
मान लीजिए आपने चॉकलेट का पैकेट खरीदा है। इसका MRP 100 रुपये है। इस पर पांच फीसद जीएसटी लगता है। तो इसका अर्थ यह है कि 100 रुपए में 5 फीसद जीएसटी की दर भी शामिल है। आपके सामान की असल कीमत (100/105 X 100= 95.23) 95.23 रुपए हुई। वहीं, अगर इस चॉकलेट के पैकेट पर 12 फीसद जीएसटी है और MRP 100 रुपये है, तो इसकी कीमत (100/112 X 100 = 89.28) 89.28 रुपए हुई और बाकी का हिस्सा जीएसटी का हुआ।
यह भी जान लीजिये कि एमआरपी और मूल्य में होता है अंतर –
एमआरपी और किसी वस्तु के मूल्य में अंतर होता है। जैसे किसी रेस्त्रां के मैन्यु कार्ड में दर्शाए गए दाम उस वस्तु का एमआरपी नहीं होती है। ऐसे में बिल के समय पर जीएसटी इस कीमत के ऊपर ही लगेगा। इसी तरह अगर कोई सेवा प्रदाता आपको कोई सेवा देता है और उसने आपको केवल उस सेवा के बदले दी जाने वाली राशि ही बताई है तो इस सेवा के अतिरिक्त जीएसटी लगाया जाएगा। केवल एमआरपी की स्थिति में ही जीएसटी की राशि सामान या सेवा के साथ शामिल होती है।
दुकानदार इस तरह करते हैं धोखाधड़ी –
अगर कोई दुकानदार आपको सामान की एमआरपी पर जीएसटी लगाकर बिल दे रहा है तो यह पूरी तरह गलत है। आप इस बिल पर असहमति दर्ज कीजिए। कई बार हम भुगतान करते समय बिल पर ध्यान नहीं देते और एमआरपी के ऊपर टैक्स देकर दो बार टैक्स दे जाते हैं।
आपकी थोड़ी सी जानकारी और सावधानी आपको इस धोखाधड़ी से बचा सकती है।