दिल्ली, 25 दिसम्बर 2023: 2024 के लोकसभा चुनाव के आगे कांग्रेस ने संगठन में व्यापक बदलाव की घोषणा की है, जिसमें कई नेताओं को जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। सचिन पायलट, कुमारी शैलजा, रमेश चेन्निथला, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मोहन प्रकाश, देवेंद्र यादव जैसे नेताओं की ज़िम्मेदारियों में बदलाव किया गया है।लेकिन इस बदलाव की बहस उस तागड़े प्रचंड पहलुओं के आसपास है कि क्या इससे कांग्रेस को वापसी में मदद मिलेगी? एक सकारात्मक दिशा में बदलाव तो हुआ है, लेकिन क्या ‘गांधी’ नाम से जुड़ी ब्रांडिंग से बाहर निकलकर कांग्रेस नई ऊर्जा का स्रोत बना सकती है?विशेषज्ञों के मुताबिक, कांग्रेस को अपने ऐतिहासिक ‘गांधी’ ब्रांड से निकलना होगा ताकि पार्टी नए दौर की शुरुआत कर सके। प्रमुख राजनीतिक विश्लेष्कार बताते हैं कि दीवार पर लिखी इबारत के बजाय, अब पार्टी को जनता के बीच जाना होगा और उनकी समस्याओं का हल निकालना होगा।इसके बावजूद, कुछ लोग मानते हैं कि केंद्रीय शासन में कमी के बावजूद कांग्रेस की ब्रांडिंग में ‘गांधी’ का नाम एक पहचान बना हुआ है, जिससे पार्टी को विशेषता मिलती है।इससे पहले भी बड़े बदलावों की गति में कदम रखते हुए कांग्रेस ने कई राज्यों में सुरक्षित स्थानों को हासिल किया है, लेकिन एक सामान्य नागरिक की दृष्टि से देखा जाए तो इसका सफर अभी बहुत लम्बा है।विश्लेषण के अनुसार, कांग्रेस को अपने कार्यकर्ता काडर को मजबूत करने और जनता की समस्याओं को सुनने पर जोर देना होगा, ताकि वह वास्तविक बदलाव का सामना कर सके। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अवसर कांग्रेस के लिए है जिसे वह हाथ में लेना नहीं छोड़ना चाहिए।
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