कारोबार

कस्टम ड्यूटी पर डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी से भारत नाखुश

ट्रंप ने भारत पर अमेरिका से आयातित उत्पादों पर बेहद ज्यादा (सौ फीसद तक) सीमा शुल्क लगाने का आरोप तब लगाया है

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से बार-बार की जा रही तल्खी भरी बयानबाजी का दूसरे क्षेत्र में संबंधों पर भी पड़ने के आसार दिख रहे हैं। समूह-7 देशों की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने भारत सरकार की आयात नीति पर जो तंज कसा है, उसको भारतीय पक्ष ने बहुत ही गंभीरता से लेने के संकेत दिए हैं। ट्रंप ने भारत पर अमेरिका से आयातित उत्पादों पर बेहद ज्यादा (सौ फीसद तक) सीमा शुल्क लगाने का आरोप तब लगाया है, जब उद्योग व वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों से जुड़े मुद्दों पर बात करने के लिए वाशिंगटन पहुंचे हैं। साथ ही भारतीय पक्ष अगले महीने ट्रंप प्रशासन के साथ होने वाली पहली रणनीतिक वार्ता की तैयारी में जुटा है।

दो दिन पहले कनाडा में आयोजित समूह-7 देशों के प्रमुखों की बैठक के बाद के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने अन्य देशों के साथ भारत पर भी करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि भारत कई अमेरिकी उत्पादों पर 100 फीसद तक सीमा शुल्क लगाता है। परोक्ष तौर पर ट्रंप ने अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगाने वाले सभी देशों के साथ कारोबारी रिश्तों को तोड़ने की भी धमकी दी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस तरह के बयानों से किसी का फायदा नहीं होगा। हकीकत यह है कि भारत की तरफ से पिछले कुछ वर्षो में अमेरिका के साथ कारोबारी रिश्तों को लेकर जो कोशिशें की गई हैं, वह सभी के सामने है। जैसे, अमेरिका निर्मित आटोमोबाइल उत्पादों के आयात पर सीमा शुल्क आधा कर दिया गया है। भारत ने अमेरिका से क्रूड व गैस खरीदना भी शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ अमेरिका ने भारत में निर्मित स्टील, एल्युमीनियम जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क की दर बढ़ा दी है। साथ ही भारत के आइटी प्रोफेशनल्स के अमेरिका में काम करने को लेकर हतोत्साहित करने वाले भी फैसले वहां हो रहे हैं।

बहरहाल, वाशिंगटन पहुंचे भारतीय उद्योग व वाणिज्य मंत्री की वहां के व्यापार मंत्री (यूएसटीआर) राबर्ट लाइटथाइजर व वाणिज्य मंत्री (बिल्बुर रॉस) के साथ होने वाली मुलाकात में ये मुद्दे उठाए जाएंगे। इसके अलावा जुलाई में भारत व अमेरिका के बीच होने वाली विशेष वार्ता (टू प्लस टू) में भी कारोबारी मुद्दे खास तौर पर उठाए जाएंगे। इसमें दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्री प्रतिनिधित्व करेंगे। रणनीतिक व कूटनीतिक से जुड़े मुद्दों पर बातचीत के लिए इस बैठक का खाका जून, 2017 में ट्रंप व पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात में तय किया गया था, लेकिन तकरीबन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है। ऐसे में माना जा रहा है कि टू प्लस टू वार्ता में भी कारोबार से जुड़े मुद्दे अहम होंगे।

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