नई दिल्ली – वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत तकनीकी सुविधाएं देने वाली जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) करदाताओं से पोर्टल पर उनके अनुभव जानने की कोशिश में लगी है। इसके लिए कंपनी ने सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। इसके तहत करदाताओं को फोन कर उनकी प्रतिक्रिया ली जा रही है। इस सर्वे का मकसद जीएसटीएन को अधिक सरल एवं सुविधाजनक बनाना है। जीएसटीएन की जिम्मेदारी देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस संभाल रही है।
जीएसटीएन के चेयरमैन अजय भूषण पांडे ने बताया कि कॉल सेंटर से रोजाना 500 फोन किए जा रहे हैं और रिटर्न दाखिल कर चुके लोगों से पोर्टल को लेकर अनुभवों के बारे में पूछा जा रहा है। पांडे ने कहा, ‘जीएसटी प्रणाली में हम लोगों से लगातार राय ले रहे हैं। परेशानियों को लेकर जानकारी जुटा रहे हैं। जीएसटीएन एक नई प्रणाली है। लोगों को समय के साथ इसकी आदत पड़ जाएगी। जब तक ऐसा नहीं होता है, हमें उद्यमियों को होने वाली दिक्कतों के प्रति सजग रहना होगा। अभी हमारी प्राथमिकता मौजूदा परेशानियों को दूर करना और चीजों को सरल बनाना है।’ जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद से हर महीने जीएसटीएन पर औसतन 50 लाख रिटर्न भरे जा रहे हैं।
चूक सकता है अप्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य
सरकार चालू वित्त वर्ष में अप्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य से चूक सकती है। जीएसटी लागू होने के बाद बनी स्थिति के कारण केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के एक अधिकारी ने यह आशंका जताई। हालांकि अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वित्त वर्ष के लिए तय लक्ष्य में संशोधन की कोई योजना नहीं है। सरकार ने इस साल सीमा शुल्क और जीएसटी से 9.68 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
जीएसटी गेम चेंजर, बने और आसान
कांग्रेस नेता आरवी देशपांडे ने जीएसटी को गेम चेंजर और अच्छा सुधार बताया है। कर्नाटक के उद्योग मंत्री देशपांडे ने कहा कि जीएसटी को कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में ही लागू होना था, लेकिन तब भाजपा ने इसका विरोध किया। अब यह लागू हो गया है और निश्चित रूप से गेम चेंजर है। एक राष्ट्र-एक कर से निसंदेह सबको लाभ होगा। स्लैब और दरों को घटाकर इसे और आसान किया जाना चाहिए। अब तक इस दिशा में सरकार के कदम से देशपांडे ने संतोष जताया।