बिहार के कटिहार में दुर्गा पूजा के रंग में भंग डाल रहे हैं तीन ‘महिषासुर’। बाढ़ की विनाशलीला, नोटबंदी और जीएसटी रुपी महिषासुरों ने पूजा के आयोजन के साथ-साथ कटिहार के मूर्तिकारों को खासा नुकसान पहुंचाया है। मंहगाई ने पूजा के इस रंग में भंग डालने का काम किया था।
देवी दुर्गा की प्रतिमा, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक, गणेश के साथ पूजा पंडालों में विराजमान होने के लिए अंतिम दौर की तैयारी में है। प्रतिमाओं को अंतिम निखार देने के लिए मूर्तिकार दिन रात मेहनत कर रहे हैं। इन सब के बीच कटिहार के लगभग 50 वर्षों से भी अधिक समय से मूर्तिकार के पेसे से जुड़े पालटोली के मूर्तिकारों के मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलने से चेहरे की मुश्कान छीन ली है।
पाल टोली के इन मूर्तिकारों की माने तो इसके पीछे एक साथ कई कारण हैं। इस क्षेत्र में बाढ़ की विनाश लीला ने बाजार को पूरी तरह बर्वाद कर दिया है, जिस कारण पूजा के आयोजक सहमे हुए हैं. साथ ही जीएसटी ने नया मुसीबत पैदा कर दिया है। रंग, सजावट की तमाम वस्तुएं महंगी हो गई हैं, लेकिन पूजा के आयोजक इस बात को समझना नहीं चाहते हैं।
मुर्तीकारों का कहना है कि अब तो बस परम्परा के नाम पर ही इस पेशे को जिन्दा रखे हुए हैं। कटिहार चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष भी मूर्तिकारों के सुर में सुर मिलते हुए बाढ़, नोटबंदी और जीएसटी को महिषासुर मानते हुए आने वाले दिनों में प्रदेश स्तर पर इसकी सुधार को लेकर आंदोलन छेड़ने की बात कह रहे हैं।