देविना सेनगुप्ता/भरनी वैतीश्वरण, मुंबई/चेन्नई
रोनाल्ड जी (बदला हुआ नाम) कुछ घंटे रोजाना अपने एयरसेल ऑफिस के सहयोगियों के साथ गुजारते हैं। उन्हें इस साल मार्च से सैलरी नहीं मिली है। 36 साल के इस मार्केटिंग एग्जिक्युटिव ने बताया, ‘हम दूसरी कंपनियों में इंटरव्यू के लिए एक दूसरे की मदद करते हैं। हम कंपनी या अंतरिम रेजॉलूशन प्रफेशनल (IRP) से मिलने वाली जानकारी भी आपस में शेयर करते हैं।’ उनके पास दो महीने का खर्च चलाने लायक ही पैसा बचा है। चार साल से एयरसेल में काम करने वाले रोनाल्ड ने कहा, ‘मुझ पर तीन बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी है। मैं जल्द अपने होमटाउन चला जाऊंगा, क्योंकि शहर में रहना मेरे लिए अब मुमकिन नहीं है।’
उन्होंने बताया कि मौजूदा सैलरी से 25 पर्सेंट कम के जॉब ऑफर पर भी वह काम करने को तैयार हैं। रोनाल्ड टेलिकॉम कंपनी के उन 3,000 एंप्लॉयीज में से हैं, जिन्हें इस साल 12 मार्च से सैलरी नहीं मिली है। हालांकि, इनमें से कई लोग रोज ऑफिस आते हैं। वहां वे सहकर्मियों के साथ दूसरी कंपनियों में वेकंसी की जानकारी शेयर करते हैं। एयरसेल में दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम उत्तर प्रदेश रीजन के एचआर हेड विवेक कुमार ने बताया, ‘अभी सभी सर्किल में कामकाज बंद है। कई ऑफिस भी बंद कर दिए गए हैं। एयरसेल के एंप्लॉयीज की हालत बहुत खराब है।’
सैलरी देने के बारे में एयरसेल की ओर से अंतिम आधिकारिक सूचना में बताया गया था कि पेरोल डिपार्टमेंट में स्टाफ की कमी से इसमें देरी हो सकती है। एंप्लॉयीज को 16 मई को भेजे लेटर में मैनेजमेंट ने लिखा था, ‘अभी पेरोल स्टाफ की कमी है। हम कुछ हायरिंग की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए सैलरी में देरी हो सकती है।’ इकनॉमिक टाइम्स ने भी यह लेटर देखा है। टेलिकॉम कंपनी के एक सीनियर एग्जिक्युटिव ने बताया कि कई लोग अभी भी कंपनी में बने हुए हैं।
उनकी मांग है कि एयरसेल उन्हें कम से कम फूड कूपन मुहैया कराए, जिससे वे खाने-पीने और दूसरे जरूरी सामान खरीद सकें। फूड कूपन उनकी सैलरी का पार्ट है। एयरसेल की मलेशियाई पैरेंट कंपनी मैक्सिस की ओर से मार्च में बैंकरप्सी के आवेदन के बाद कंपनी की कमान अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल डेलॉयट के पास है। एयरसेल पर 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।