पटना । जदयू नेता व बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक ने आरक्षण व दलितों के मुद्दे पर नीतीश सरकार के नियत और नीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार इन वर्गो के विकास के लिए ध्यान नहीं दे रही है। इसके साथ ही उन्होंने शरद यादव की तारीफ की। उदय नारायण चौधरी ने कहा कि कलम और कागज के साथ पावर भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के हाथ में हैं लेकिन मैं अपनी आवाज और दलित-महादलितों की आवाज को उठाउंगा। उन्होंने शरद यादव की तरफदारी करते हुए कहा कि उनके साथ हमने 18 साल तक काम किया है जब मुझे शरद के साथ जाना होगा तो सब के साथ जाउंगा। चौधरी के तेवर से साफ हैं कि उन्हें कार्रवाई की कोई चिंता नहीं है।
वहीं, पार्टी के एक और विधायक तथा राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने एक संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि वंचित समाज को मुख्य धारा में लाने का डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी का जो सपना था, वह देश की आजादी के सात दशक बाद भी पूरा नहीं सका है। वंचित समाज आज भी कूड़े के ढेर से अनाज चुनकर पेट की भूख मिटा रहा है। श्याम रजक ने ये भी कहा था कि हम सरकार की मंशा पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, मगर जिनको नीति लागू करना है उनकी नियत में खोट है। शासन में जो लोग हैं उनकी जिम्मेदारी थी इन लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने की। वही लाेग हमारे अधिकार को छीनना चाहते हैं। जो आरक्षण खत्म करने की बात कह रहे हैं, हम इसके खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। हम जिला से प्रखंड स्तर तक जाकर इस बारे में लोगों बताने का काम करेंगे।
दूसरी ओर जेडीयू ने बागी तेवर दिखा रहे उदय के खिलाफ कार्रवाई करने के संकेत दे दिये हैं। मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि किसी भी नेता को पार्टी लाइन से बाहर नहीं जाना चाहिये। प्रदेश अध्यक्ष के स्तर पर ये बात गई है और उचित फैसला लिया जायेगा।आरक्षण को लेकर सार्वजनिक रूप से पार्टी लाइन से अलग बयान जारी करने पर नाराजगी जताते हुए जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उन्हें अपनी बात पार्टी के फोरम पर रखनी चाहिए। सिंह ने कहा कि उनकी निजी नाराजगी हो सकती है, लेकिन वे नीतीश कुमार की कार्यशैली के कायल रहे हैं। पार्टी ने बयान को गंभीरता से लिया है।
उदय नारायण चौधरी के इस बात पर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि वे उस समय कहां थे, जब उनके साथ भेदभाव किया जा रहा था। वहीं बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी ने इस मामले में कहा कि जब उदय नारायण चौधरी विधान सभा के अध्यक्ष थे, तब क्यों नहीं उठाया था ये मामला। श्याम रज़क ने मंत्री और विधायक रहते क्यों नहीं उठाया सदन में दलितों का मामला। नीतीश कुमार महादलित विकास मिशन का गठन कर दलितों के विकास के लिए काम कर रहे है। बता दें कि इससे पहले बिहार के औरंगाबाद जिले में पूर्व विस अध्यक्ष ने कहा था कि मैं दलगत भाव से नहीं बल्कि वंचित वर्ग मोर्चा के संयोजक के नाते दलितों का सवाल उठाता हूं। बाबा भीमराव अंबेदकर ने भारतीय संविधान में आरक्षण का जो अधिकार दिया है वह तो अबतक लागू नहीं हुआ है, लेकिन आज आरक्षण की समीक्षा करने और समाप्त करने की साजिश हो रही है। कहा जाए तो आरक्षण समाप्त किया जा रहा है।
पूर्व विस अध्यक्ष ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर प्रोन्नति में आरक्षण समाप्त कर दिया गया है। इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार अथवा संसद का नेतृत्व कर रहे लोगों ने कोई बिल अभी तक नहीं लाया है। संसद के नेतृत्वकर्ता में इच्छाशक्ति में कमी और नीयत व नीति में खोट के कारण आरक्षण समाप्त की जा रही है। इसके खिलाफ वंचित वर्ग मोर्चा पूरे देश में अभियान चलाएगी। राज्य के हर जिलों में बैठकें की जाएगी। चौधरी ने कहा कि अधिकांश विभागों में आउटसोर्सिंग कर दिया गया है। इसमें आरक्षण समाप्त कर दिया गया है। शिक्षा में छात्रवृति समाप्त कर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। आरक्षण वर्ग के लोगों को मिलने वाली बजट की राशि सड़क, सचिवालय निर्माण के अलावा अन्य मद में खर्च की जा रही है।
जदयू नेता ने कहा कि न्यायपालिका में आरक्षण नहीं मिलता है। अब तक केंद्र सरकार न्यायिक आयोग का गठन नहीं किया है। आरक्षण पर सांसद चिराग पासवान के दिए गए बयान पर कहा कि उन्हें सामान्य सीट से लडऩा चाहिए। बता दें कि केंद्र और बिहार दोनों जगह एनडीए गठबंधन की सरकार है। साथ ही पीएम मोदी शनिवार को बिहार दौरे पर आ रहे हैं। ऐसे में जदयू नेता द्वारा केंद्र सरकार पर निशाना साधने कई मायने निकाले जा रहे हैं।