नई दिल्ली : पिछले एक साल में बीएसई सेंसेक्स ने 29% रिटर्न्स दिए जबकि बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स 59% चढ़ गया। लेकिन, ईटी ने जनवरी 2017 में जिन गुमनाम से आठ शेयरों को खरीदने की सलाह दी, उन्होंने 71% रिटर्न्स दिए। इस साल भी हमने नौ रत्न ढूंढ निकाले जो 2018 में हाई रिटर्न्स देने जा रहे हैं। हालांकि, यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पिछला साल का प्रदर्शन अपने-आप में अजूबा था, इसलिए निवेशकों को इस वर्ष रिटर्न्स की उम्मीद को लेकर थोड़ा उदार होना चाहिए।
एक तथ्य यह भी है कि इन गुमनाम से शेयरों में निवेश करना अपने आप में हाई रिस्क-हाई रिटर्न स्ट्रैटिजी होती है। दूसरी बात यह है कि शेयरों में निवेश के बाद लंबे वक्त तक इंतजार करना होता है और कम समय में अच्छे रिटर्न की उम्मीद नहीं की जा सकता है। बहरहाल, आगे देखते हैं कौन-कौन हैं 2018 के नवरत्न…
कैन फिन होम्स : रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी की वजह का असर ज्यादातर हाउजिंग फाइनैंस कंपनियों पर पड़ा है। हालांकि, कैन फिन होम्स जैसी कंपनियां इससे अछूती रह गईं क्योंकि ये मध्यम और छोटे आकार के घरों के लिए लोन देती हैं। सरकार के जोर देने की वजह से सस्ते घरों की बिक्री बढ़ रही है। ऐसे में कैन फिन होम्स को इसका बड़ा लाभ मिलने जा रहा है।
ग्रैन्युल्स : यूं तो यूएस एफडीए से जुड़े मुद्दों की वजह से ज्यादातर भारतीय दवा कंपनियों का ग्रोथ रेट घटा है, लेकिन ग्रैन्युल्स इंडिया की तेज वृद्धि बरकरार है। कंपनी का पिछले छह साल का अर्निंग्स सीएजीआर 39% है। बढ़ती मांग का फायदा उठाने के लिए ग्रैन्युल्स अपनी ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिअंट्स (एपीआई) और फार्मास्युटिल फॉर्म्युलेशन इंटरमीडिअरीज (पीएफआई), यूं तो यूएस एफडीए से जुड़े मुद्दों की वजह सेकपैसिटी को क्रमशः 40 प्रतिशत और 20 प्रतिशत बढ़ाने जा रहा है। मार्केट ऐनालिस्ट्स को उम्मीद है कि कंपनी 2019-20 में भी अपना अर्निंग्स सीएजीआर 25% से ऊपर कायम रखेगी।
ट्राइडेंट : 2017-18 की दूसरी तिमाही में ट्राइडेंट की कमाई थोड़ी कम रही। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि तीसरी तिमाही में कंपनी तिमाही और सालाना, दोनों आधार पर अच्छा प्रदर्शन करेगी।
वीए टेक वेबैग : वॉटर ट्रीटमेंट के क्षेत्र में काम करनेवाली बड़ी कंपनी वीए टेक वेबैग लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में इसका कन्सॉलिडेटेड रेवेन्यू और नेट प्रॉफिट क्रमशः 15 प्रतिशत और 43 प्रतिशत बढ़ा है। यूं तो घरेलू मोर्चे पर कंपनी कुछ दबाव झेल रही है, लेकिन विदेशों में कंपनी का कामकाज अच्छा चल रहा है। कंपनी को अभी विदेशों से 71 प्रतिशत रेवेन्यू हासिल हो रहा है। उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार की नमामी गंगे योजना से उसका घरेलू कारोबार भी सुधरेगा।
एपीएआर इंड्स :अपार इंडस्ट्रीज भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कंडक्टर बनाने और निर्यात करनेवाली कंपनी है। साथ ही, यह ट्रांसफॉर्मर ऑइल बनाने और बेचने वाली दुनिया की चौथी बड़ी कंपनी है। हालांकि, जीएसटी के असर में कंडक्टर कारोबार में गिरावट की वजह से दूसरी तिमाही में कंपनी का वॉल्युम 25% गिर गया। लेकिन, इसके स्पेशलिटी ऑइल्स और केबल्स डिविजन्स ने शानदार प्रदर्शन किए। कई कारकों की वजह से वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनी की मजबूती की उम्मीद की जा रही है। दरअसल, चीनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की लागत ज्यादा होने की वजह से अपार इंडस्ट्रीज का एक्सपोर्ट रेवेन्यू शेयर 53% बढ़ गया है।
गेटवे डिस्ट्रिपार्क्स : नोटबंदी और जीएसटी की वजह से गेटवे डिस्ट्रिपार्क्स का प्रदर्शन पिछले साल अच्छा नहीं रहा। साथ ही रुपये की मजबूती की वजह से भी भारतीय निर्यातकों को झटका लगा है। गेटवे डिस्ट्रिपार्क्स कंटेनर फ्रेट स्टेशनों (सीएफएस), इनलैंड कंटेनर डिपोज (आईसीडी) आदि के क्षेत्र में काम करता है। इसके मूल ग्राहक विदेशों के हैं। अब इनपुट टैक्स क्रेडिट की समस्या सुलझा लेने के बाद एक्सपोर्ट सेक्टर जोर पकड़ने लगा है। इसे दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स (डीएफसीज) के लिए रेलवे से बोलियां मंगवाने से भी फायदा होना चाहिए।
त्रिवेणी टरबाइन : स्टीम टरबाइन्स की मार्केट लीडर यह कंपनी एक्सपोर्ट के मोर्चे पर अच्छा कर रही है। त्रिवेणी टरबाइन का 52 प्रतिशत रेवेन्यू एक्सपोर्ट्स से ही आता है। जनरल इलेक्ट्रिक के साथ टाइ अप से इसका एक्सपोर्ट्स बढ़ रहा है।
अतुल ऑटो : तिपहिया वाहन बनाने वाली राजकोट की इस कंपनी की तीसरी तिमाही की अर्निंग्स कमजोर रहने की आशंका है। हालांकि, ऐनालिस्टों को अब भी इस कंपनी पर बहुत भरोसा है। कंपनी अपना एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए मौजूदा 11 देशों के मुकाबले अगले कुछ सालों में 30 देशों में मौजूदगी दर्ज करना चाहती है।
महिंद्रा हॉलिडेज ऐंड रेजॉर्ट्स : महिंद्रा हॉलिडेज ऐंड रेजॉर्ट्स अब अपनी मेंबर अक्विजिशन स्ट्रैटिजी बदल रहा है। इसका जोर अब उन क्वॉलिटी मेंबर्स पर है जो मेंबरशिप के लिए ज्यादा डाउन पेमेंट कर सकते हैं। हालांकि, इस नई रणनीति से दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 14% कम नए मेंबर बने। लेकिन ऐनालिस्ट्स इससे चिंतित नहीं हैं क्योंकि दूसरी ओर से कंपनी की कमाई बढ़ रही है।